नीलकंठ नीले रहियो, हमरी बात राम से कहियो
दशहरे की पवित्र परंपरा : शुभता के प्रतीक नीलकंठ के दर्शन
नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो', इस लोकोक्ति के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है। जिसके चलते दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएं। ताकि साल भर उनके यहां शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे।
इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है, और फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं। सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है।
नीलकण्ठ अर्थात् जिसका गला नीला हो।
जनश्रुति और धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नीलकण्ठ है। इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है। नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रुप है। भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं।
किसानों का मित्र :- वैज्ञानिकों के अनुसार यह भाग्य विधाता होने के साथ-साथ किसानों का मित्र भी है, क्योंकि सही मायने में नीलकंठ किसानों के भाग्य का रखवारा भी होता है, जो खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रखवारी करता है।