कैसे मनाएं दशहरा का पर्व?

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022 (12:12 IST)
Dussehra 2022 : अच्छाई पर बुराई की जीत का पर्व दशहरे के दिन जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। वहीं, श्री राम ने रावण का वध किया था। इसी की याद में यह विजयोत्सव मनाया जाता है। 5 अक्टूबर 2020 बुधवार के दिन दशहरा मनाया जाएगा। आओ जानते हैं कि किस तरह मनाया जाता है दशहरा का पर्व।
 
हम दशहरा कैसे मनाते हैं? | How to celebrate Dussehra festival:
 
1. दशहरे पर शुभ मुहूर्त में वाहन, शस्त्र, राम दरबार, मां दुर्गा, देवी अपराजिता और शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। हर घर में पूजा की परंपरा भिन्न भिन्न होती है, लेकिन पूजा अपराह्न को की जाती है।
 
2. दशहरे के दिन घर से रावण दहन देखने के लिए जाते समय नए या साफ सुथरे वस्त्र पहनें और तिलक लगाकर जाएं और रावण दहन का आनंद लें। 
 
3. रावण दहन देखने के बाद से लौटते समय शमी के पत्ते लें और उन्हें लोगों को देकर दशहरे की बधाई दें। 
 
4. घर लौटने वाले सदस्यों की महिलाएं आरती उतारकर स्वागत करें। दशहरे का पर्व परिवार के सभी सदस्य साथ मिलकर मनाते हैं। 
 
5. रावण दहन के बाद लोग एक-दूसरे के घर जाकर, छोटो को आशीर्वाद, बराबर वालों से गले मिलकर, बड़ों के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं।

 
6. इस दिन बच्चों को 'दशहरी' देने का भी प्रचलन हैं। बच्चे जब बड़ों का चरण छूते हैं तो दशहरी के रूप में बच्चों को रुपए, वस्त्र या मिठाई देते हैं। 
 
7. इस दिन खासतौर पर गिलकी के पकोड़े और गुलगुले यानी मीठे पकोड़े बनाने का प्रचलन है। पकोड़े को भजिए भी कहते हैं।
 
8. इन दिन दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ किया जाता है जिससे की माता का आशीर्वाद मिलता है।
 
9. दशहरे के दिन पीपल, शमी और बरगद के वृक्ष के नीचे और घर एवं मंदिर में दीया लगाने की परंपरा भी है। इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
 
10. इस दिन अपने भीतर की एक बुराई को भी छोड़ने का संकल्प लेने की परंपरा है। यदि आपको लगाता है कि मुझे यह छोड़ना चाहिए तो श्रीराम या मां दुर्गा के समक्ष इसे छोड़ने का हाथ में जल लेकर संकल्प लें। 
 
11. इन दिन सारे गिले-शिकवे दूर करके अपनों को गले लगाकर उनसे पुन: रिश्ता कायम किए जाने का भी प्राचलन रहा है। आप उनके घर जाएं या उन्हें अपने घर बुलाएं।

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