5.मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शीश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी। बाद में लंका पर विजय पाने के बाद उन्होंने शमी पूजन किया था। दशहरे के दिन आप भी दशहरा मिलने के बाद लोगों को शमी के पत्ते भेंट करें, लेकिन शमी के पत्तों को तोड़ने से पहले पौधे का पूजन किया जाता है। यह शत्रु पर विजयी दिलाता है।
6. प्रदोषकाल में शमी वृक्ष के समीप जाकर पहले उसे प्रणाम करें फिर उसकी जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। इसके बाद वृक्ष के सम्मुख दीपक प्रज्वलित कर उसकी विधिवत रूप से पूजा करें। शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र का प्रयोग भी करें। इससे सभी तरह का संकट मिटकर सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।