राहुल की सक्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस दिन केदारनाथ के कपाट खुले, वे उसी दिन वहां पहुंच गए और उनके मुताबिक उन्होंने वहां आग जैसी ऊर्जा महसूस की। यह अलग बात है कि केदारनाथ आपदा के समय राहुल कहीं नजर नहीं आए थे। उस समय उन पर आरोप भी काफी लगे थे। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि राहुल का यह नया 'अवतार' दम तोड़ रही कांग्रेस में कितनी जान फूंक पाता है या फिर वे अपनी राजनीति के बूते देशवासियों को कितना प्रभावित कर पाते हैं।