जज्बा, जोश और समर्पण का दूसरा नाम है 'वेबदुनिया'

आज यानी 23 सितंबर, 2021 को वेबदुनिया ने अपनी यात्रा के 22 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। वेबदुनिया, हमारी वेबदुनिया से पहले आपकी वेबदुनिया, सजग और सुयोग्य पाठकों की वेबदुनिया... आज आपके ही प्यार, विश्वास और सम्मान ने हमें यह दिवस मनाने का सुअवसर दिया है। निरंतर 22 साल अपने पत्रकारीय मूल्यों के प्रति निष्ठावान रहकर वेबदुनिया ने जो भी कीर्तिमान रचे हैं... वह हम पूरे विनम्र भाव से अपनी सशक्त टीम के साथ आप पाठकों को समर्पित करते हैं।   
 
22 सालों की यात्रा में वेबदुनिया की कई खट्टी-मीठी यादें शामिल रही हैं। 23 सितंबर, 1999 में वेबदुनिया हिन्दी की शुरुआत उस समय हुई थी, जब किसी ने इंटरनेट पर हिन्दी में समाचार और आलेख पढ़ने की कल्पना भी नहीं की थी।
 
आज भारत समेत दुनिया भर हिन्दी की कई वेबसाइट्‍स हैं, लेकिन वेबदुनिया की पहचान इस भीड़ में सबसे अलग है। डिजिटल मीडिया के दौर में वेबदुनिया की गिनती अग्रणी संस्थानों में होती है। 
 
वेबदुनिया ने दो दशक से ज्यादा की इस यात्रा में कई प्रतिमान गढ़े हैं। भारतीय भाषाओं के प्रति वेबदुनिया का समर्पण इसी से दिखाई देता है कि वेबदुनिया के हिन्दी एवं अंग्रेजी के अलावा 6 क्षेत्रीय भाषाओं में भी वेब पोर्टल संचालित होते हैं। इनमें मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम शामिल हैं। चाहे संस्था की बात हो या फिर कर्मचारियों की, जज्बा, जोश और समर्पण का दूसरा नाम ही 'वेबदुनिया' है। 
 
साथी खोया, मगर जोश बरकरार : कोरोना काल की विभीषिका को वेबदुनिया एवं उसके साथियों ने बहुत करीब से महसूस किया, जब कई साथी संक्रमित हुए एवं एक वरिष्ठ साथी श्री सीमांत सुवीर का कोरोना संक्रमण के बाद असामयिक निधन हो गया। नि:संदेह सभी साथियों के लिए असीम दुख का क्षण था, लेकिन उन्होंने अपने मन को मजबूत रख इस पीड़ा का सामना किया। 
 
साथियों ने इस कष्ट का संयम के साथ सामना किया तो संस्था ने भी दुख की इस घड़ी में पूरी संवेदना के साथ मदद के लिए हाथ बढ़ाया। दिवंगत साथी के परिजनों की मदद के लिए वेबदुनिया प्रबंधन ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया, जब श्री सुवीर के परिजनों को 2 साल के लिए पूर्ण वेतन देने की व्यवस्था की गई। 
 
कोरोना काल में यह पॉलिसी किसी एक साथी के लिए नहीं बल्कि इंडिक मीडिया के सभी साथियों के लिए बनाई गई है। इस पॉलिसी में किसी साथी के साथ कोरोना के कारण अनहोनी की दशा में दो साल के वेतन के साथ उनके 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों के लिए संपूर्ण शिक्षा की व्यवस्था तथा उससे बड़े बच्चों के लिए अपने पैरों पर खड़े होने में मदद करना भी शामिल है। चिकित्सा बीमा की सुविधा तो कंपनी द्वारा वर्षों से दी जा रही है। इन नीतियों के परिणामस्वरूप सभी कर्मचारियों ने कोरोना काल में भी दोगुने उत्साह के साथ काम किया। 
 
कठिन दौर में वेबदुनिया टीम का समर्पण, धैर्य और साहस सराहनीय रहा यही वजह रही कि पाठकों के विश्वास और अपेक्षा पर हम खरे उतरते रहे। कोरोना संबंधी समस्त जानकारी, एक्सपर्ट एडवाइज, प्रतिष्ठित चिकित्सकों की अमूल्य सलाह और पल-पल की अपडेट हर परिस्थिति में हम आपको देते रहे।
 
वेबदुनिया टीम ने डॉक्टरों और विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित प्रामाणिक जानकारियां तथा वीडियो अपने पाठकों तक पहुंचाए जो कोरोना से लड़ने में और भ्रमित जानकारियों से दूर रहने में काफी मददगार सिद्ध हुए। इस दौरान 30 से ज्यादा देशों और भारत के विभिन्न राज्यों से सैकड़ों ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की गईं। 
 
उपलब्धियां भी कम नहीं : इस 22 साल की यात्रा में वेबदुनिया और उसकी टीम के नाम कई उपलब्धियां भी दर्ज हैं। वेबदुनिया के यूट्‍यूब चैनल पर 1.75 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। वेबदुनिया हिन्दी को जहां यूट्‍यूब की ओर से गोल्डन प्ले बटन मिल चुका है, जबकि वेबदुनिया मराठी, गुजरात और तमिल को सिल्बर प्ले बटन से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा वेबदुनिया परिवार के कई साथियों को विभिन्न मंचों से सम्मानित किया जा चुका है। 
 
वेबदुनिया ने इस दौरान जर्मनी के शीर्ष मीडिया संस्था डॉयचेवेले के साथ 'जीतो खुशियां कॉन्टेस्ट' का आयोजन किया गया। इसमें वेबदुनिया के पाठकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस क्विज के विजेताओं को लाखों के पुरस्कार भी वेबदुनिया और डॉयचेवेले की ओर से दिए गए। 
 
वेबदुनिया के 22 साल महज एक पड़ाव है। अब तक की सफल यात्रा पाठकों के असीम स्नेह का ही सुपरिणाम है। ... और पाठकों के इसी साथ के विश्वास पर भविष्य में भी वेबदुनिया को कई नए प्रतिमान गढ़ने को प्रतिबद्ध है, मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के प्रति हम संकल्पित हैं और रहेंगे, आज के दिन की शुभकामनाएं आप सभी को....
 

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