छत्तीसगढ़ में नाबालिग छात्राओं के बलात्कार के लिए कौन है जिम्मेदार?

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के एक गांव में कन्या आश्रम की 10 से 12 साल की बच्चियों के साथ लंबे समय से बलात्कार हो रहा था। सबसे पहले तो चंद सवाल जो हर किसी को पूछना ही चाहिए-

1. ये लड़कियां 'भारत' से हैं या 'इंडिया' से?
2. क्या ये बच्चियां जीन्स टी-शर्ट पहनकर किसी को रिझाने गई थीं?
3. क्या ये रात को अपने बॉयफ्रेंड के साथ घूम रही थीं?
4. क्या ये देर रात पार्टी में शराब पीकर हंगामा कर रही थीं?
5. क्या इन्होंने रात 9 बजे कोई गलत बस पकड़ ली?
6. क्या इन्हें ये सब इसीलिए भुगतना पड़ा क्योंकि इन्होंने अपना शोषण करने वालों को भाई नहीं बनाया, उनके हाथ पैर नहीं जोड़े?
7. क्या इन बेचारी बच्चियों ने कोई 'लक्ष्मण रेखा' लांघ ली थी या बेचारी मर्यादा से बाहर चली गई थीं?

कोई मसीहा नहीं आएगा हमें इस दलदल से निकालने। हमें यों ही सड़कों पर निकलना होगा और उससे भी पहले मदद करनी होगी... गर कोई तड़पता दिख जाए। अपने घरों को दुरुस्त करना होगा
आखिर क्या हो गया है इस देश के तथाकथित जिम्मेदारों को? हम अपने आसपास बिखरे सच से आखिर आंख क्यों नहीं मिला पा रहे? क्या लड़की का घर की देहरी लांघना ही मर्यादा लांघना है? हम केवल घटनाओं और तात्कालिक परिस्थितियों पर ध्यान दे रहे हैं.... ये सब तो बस प्रतीक हैं, संकेत हैं ये बताने के लिए कि हमारा समाज भीतर से कितना सड़ चुका है।

सभ्यता और संस्कृति के जिस ठोस धरातल पर खड़े होने का दावा हम करते हैं, वो दरअसल कितना लिजलिजा हो चुका है। हम अपने आप से आंख मिलाने में इतना क्यों डर रहे हैं? जिन्हें समाज को दिशा देनी चाहिए थी वो ख़ुद कितने दिशाहीन हैं!!

कोई मसीहा नहीं आएगा हमें इस दलदल से निकालने। हमें यों ही सड़कों पर निकलना होगा और उससे भी पहले मदद करनी होगी... गर कोई तड़पता दिख जाए। अपने घरों को दुरुस्त करना होगा। मरम्मत करनी होगी उन दरारों की जिनसे होकर ये गंदगी आ रही है।

...और इन तथाकथित जिम्मेदारों को.... मत उम्मीद कीजिए उनसे वो इन सवालों के जवाब नहीं दे पाएँगे। ये किसी धर्म, जाति या समाज का मसला नहीं है, जिसके बाहर ये सोच नहीं पाते.... ये पूरे देश का मसला है, पूरे सभ्य समाज का मसला है पूरी इंसानियत का मसला है।

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