षाढ़ के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी आदि नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी से भगवान विष्णु का शयन काल प्रारंभ हो जाता है जो लगभग चार माह के लिए रहता है। इसी दिन से विवाह समेत कई शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इसके बाद कार्तिक माह की एकादशी को देव उठ जाते हैं जिसे देव उठनी ग्यारस, हरि प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है।
2. एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कार नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए। यदि उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन चावल, प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन आदि बिलकुल न खाएं।
9. देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है।
10. पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।