Nirjala Ekadashi 2021
व्रतों में प्रमुख व्रत होते हैं नवरात्रि के, पूर्णिमा के, अमावस्या के, प्रदोष के और एकादशी के। इसमें भी सबसे बड़ा जो व्रत है वह एकादशी का है। माह में दो एकादशी होती है। अर्थात आपको माह में बस दो बार और वर्ष के 365 दिन में मात्र 24 बार ही नियम पूर्वक व्रत रखना है।
क्यों कहते हैं भीमसेनी एकादशी : पांडव पुत्र भीम के लिए कोई भी व्रत करना कठिन था, क्योंकि भूखे रहना उनके लिए संभव न था। लेकिन वे एकादशी व्रत करना चाहते थे। वेद व्यास व भीष्म पितामह ने भीम को बताया कि वर्ष में मात्र एक बार ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की निर्जला एकादशी कर ले तो उन्हें सभी चौबीस एकादशियों (यदि अधिक मास हो तो छब्बीस) का फल मिलेगा। भीमसेन ने यह व्रत रखा था इसीलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हो गया। कुछ क्षेत्रों में इसे पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।