घटते जंगल, बढ़ती मुसीबतें

लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटाने में युवा शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका की स्वीकारोक्ति में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को देश की युवा पीढ़ी के सपनों को साकार करने का वायदा करते हुए कहा कि अगले दस साल नवाचार (इनोवेशन) के दशक के रूप में समर्पित किए जाएँगे।

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा हमारी युवा पीढ़ी उन पर बंदिश लगाने वाली धर्म, क्षेत्र, भाषा, जाति और स्त्री पुरुष के भेद संबंधी संकीर्ण विचारधाराओं को तोड़ रही है। राष्ट्र को उनकी आशाओं के अनुरूप कार्य करना चाहिए।

उन्होंने कहा सरकार सुनिश्चित करेगी कि शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए उसकी नीतियां नवाचार की भावना से ओतप्रोत हों ताकि सौ करोड़ से अधिक लोगों की रचनात्मकता उभरकर सामने आए।

राष्ट्रपति ने कहा अगले दस वर्षों को नवाचार के दशक के रूप में समर्पित किया जाएगा। यह एक प्रतीकात्मक संकेत हो सकता है परंतु हमारी बहुत सी चुनौतियों का हल ढूँढने के लिए अभिनव होने की आवश्यकता जताने वाला एक यह एक महत्वपूर्ण संकेत है।

उन्होंने कहा कि भारत की युवा पीढ़ी स्वभावत: क्रियाशील है और जल्द परिवर्तन देखना चाहती है। उनके सपनों को साकार करने का दायित्व भी मेरी सरकार पर है। राष्ट्रपति ने कहा कि युवा पीढ़ी के सपनों को साकार करने के लिए अगले पाँच साल के हर दिन निरंतर प्रयास करना होगा।


उक्त रिपोर्ट के अनुसार अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और हरे-भरे इलाकों में भी 1 लाख 83 हजार 135 वर्ग किमी क्षेत्र में जंगल नहीं हैं। भारत के जंगलों का सबसे बड़ा प्रतिशत हमालयी क्षेत्र में है जहाँ कुल भू-भाग के 54 प्रतिशत क्षेत्र पर जंगल हैं। इनमें वो पूर्वोत्तर राज्य भी शामिल हैं जहाँ बहुतायत में जंगल हैं। ये हमारे देश के फैंफड़े साबित हो रहे हैं। लेकिन मैदानी इलाकों में जंगल तेजी से घट रहे हैं। जहाँ भी आबादी बढ़ रही है वहाँ जंगल और जानवर दोनों कम हो रहे हैं। इंसान अपने वजूद के सामने बाकी सबके वजूद को नकार रहा है। अगर जंगलों को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमारा साँस लेना मुश्किल हो जाएगा, यह तय है।

कितने प्रकार के होते हैं जंगल?
1. सघन (डेंस फॉरेस्ट)- यह ऐसा जंगल होता है जिसमें धरती भी मुश्किल से ही दिखती है। यह जंगल प्रकृति द्वारा हमें प्रदत्त फैंफड़े की तरह होते हैं जो कारबनडाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैस को सोखकर जीवनदायिनी ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। ये बादलों को आकर्षित करके बारिश के भी कारक बनते हैं। ये ज्यादातर ऐसी जगहों पर होते हैं जहाँ इंसानी दखलंदाजी ना के बराबर होती है।

2. सामान्य (मोरडरेट फॉरेस्ट)- ये सामान्य प्रकार के जंगल राष्ट्रीय उद्यानों या रिजर्व फॉरेस्ट में मिलते हैं। यहाँ इंसानी दखलदांजी एक सीमा तक ही मान्य रहती है।

3. खुला जंगल (ओपन फॉरेस्ट)- ऐसे जंगल शहरी क्षेत्रों में होते हैं और शहर के बीचोंबीच या आस-पास की पहाड़ियों पर पाए जाते हैं। यहाँ पेड़ छितरे हुए से लगे होते हैं।

4. कच्छ या गरान (मेनग्रूव्ज फॉरेस्ट)- इस प्रकार के जंगल समुद्री जल के आस-पास पनपता है। पश्चिम बंगाल का सुंदरबन इसका उदाहरण है। ये जंगल भी काफी घना होता है लेकिन इसमें ज्यादातर वो पेड़-पौधे उगते हैं तो नमकीन पानी में अपने को जीवित बनाए रख सकते हैं।

भारत के कुछ सबसे घने जंगलों वाले इलाके (कुल भू-भाग के प्रतिशत में)
1. मिजोरम : 87 प्रतिशत
2. अंडमान और निकोबार : 84 प्रतिशत
3. नागालैण्ड : 82 प्रतिशत
4. मणिपुर : 77 प्रतिशत
5. मेघालय : 75 प्रतिशत
6. लक्ष्‌यद्वीप : 71 प्रतिशत
7. अरुणाचल प्रदेश : 68 प्रतिशत
8. सिक्किम : 45 प्रतिशत
9. उत्तांचल : 45 प्रतिशत
10. केरल : 40 प्रतिशत

भारत के कुछ सबसे कम जंगलों वाले इलाके (कुल भू-भाग के प्रतिशत में)
1. हरियाणा : 3 प्रतिशत
2. पंजाब : 3 प्रतिशत
3. राजस्थान : 4 प्रतिशत
4. बिहार : 6 प्रतिशत
5. उत्तर प्रदेश : 6 प्रतिशत
6. दमन और दीव : 7 प्रतिशत
7. गुजरात : 7 प्रतिशत
8. पोंडेचरी : 8 प्रतिशत
9. जम्मू-कश्मीर : 10 प्रतिशत
10. दिल्ली : 11 प्रतिशत

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