यूरोप में गर्मी से 62 हजार लोगों की मौत सिर्फ अलार्म है, टूटेंगे सारे रिकॉर्ड, भयावह होंगे तपन के परिणाम

मंगलवार, 11 जुलाई 2023 (16:01 IST)
Global warming and temperature: ग्‍लोबल वार्मिंग और क्‍लाइमेट चेंज ने पूरी दुनिया का पारा बढ़ा रखा है। वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में यह भी दावा किया है कि अभी भविष्‍य में दुनिया में गर्मी का तापमान और ज्‍यादा बढ़ेगा। दरअसल, इस बात के संकेत अभी से सामने आने लगे हैं। एक स्टडी में सामने आया है कि पिछले साल यूरोप में सबसे तेज गर्मी के दौरान वहां करीब 62 हजार लोगों की मौत हो गई। यह खुलासा चौंकाने के साथ साथ चिंता में भी डाल रहा है।

1.5 डिग्री से नीचे रखना होगा तापमान : पूरी दुनिया के वैज्ञानिक और मौसम विशेषज्ञ वैश्विक औसत तापमान को 1.5 डिग्री से नीचे रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जलवायु के लिए किए जा रहे हमारे प्रयास बहुत कम हैं। आलम यह है कि 2022 और 2023 का तापमान 1979-2000 के औसत से कहीं अधिक रहा। 3-6 जुलाई, 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिन थे,  तापमान 17 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया।

इसके परिणाम भी बहुत भयावह है। हाल ही में एक स्‍टडी नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुई है। जिसमें दावा किया गया कि पिछले साल 30 मई से 4 सितंबर के बीच यूरोप में गर्मी से संबंधित बीमारियों की वजह से 61 हजार 672 लोगों की मौत हो गई।

कहां कितनी मौतें : स्‍टडी में बकायदा अलग-अलग देशों में मौत का डेटा जारी किया है। करीब 18 हजार लोगों की मौतों के साथ इटली सबसे ज्‍यादा प्रभावित देश रहा। जबकि स्पेन में 11 हजार लोग मारे गए। जर्मनी में 8 हजार मौतें हुईं। यह बात भी सामने आई है कि बढ़ते तापमान ने बुजुर्गों और महिलाओं पर सबसे ज्‍यादा असर डाला है।

क्‍या रहा औसत : स्‍टडी में सामने आया कि गर्मी ने सबसे ज्‍यादा असर महिलाओं पर डाला। मौत के नंबर्स की बात करें तो कुल 62 हजार मौतों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मृत्यु दर 63% ज्‍यादा थी। आईएसग्लोबल के महामारी विशेषज्ञ और इस रिसर्च के प्रमुख जोन बैलेस्टर ने सीएनएन को बताया कि यह एक बहुत बड़ी संख्या है। यह रिसर्च 2015 और 2022 के बीच 35 यूरोपीय देशों में की गई। जिसके केंद्र में तापमान और मृत्यु दर के आंकड़ों को रखकर अध्‍ययन किया गया।

2003 में दिया था अलार्म : ऐसा पहली बार नहीं है। गर्मी अपना रौद्र रूप पहले भी दिखा चुकी है। यूरोप में करीब 20 साल पहले 2003 की गर्मी की वजह से करीब 70 हजार लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना एक अलार्म था, लेकिन इतने साल बाद भी हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाए।

भारत की स्‍थिति : दुनिया में इस नई चुनौती के असर से भारत भी अछूता नहीं रहा है। खतरे का यह अलार्म भारत को भी मिला। बता दें कि पिछले महीने भारत में गर्मी के चलते बिहार और उत्तर प्रदेश में कई लोगों की मौत हुई। भारत में हर साल जून में गर्मी की लहर से होने वाली मौतें इस बात का संकेत है कि आने वाले वक्‍त और ज्‍यादा भयावह है।

क्‍या है ताजा हकीकत : दुनिया के औसत तापमान ने सोमवार 3 जुलाई को सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के बताती है कि दुनियाभर में सोमवार को औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस (17C) यानी 63 डिग्री फारेनहाइट (63F) पहुंच गया था। इसने अगस्‍त 2016 के 16.9 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन (NCEP) के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस था, जो अगस्त 2016 के पिछले रिकॉर्ड से थोड़ा ऊपर था।

टूटेगा 3 जून का रिकॉर्ड : ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज एंड द एनवायरनमेंट के व्याख्याता फ्राइडेरिक ओटो ने तो साफ शब्‍दों में दुनिया को आगाह किया है। उन्‍होंने कहा है कि यह कोई ऐसी बात नहीं जिसका हमें जश्‍न मनाना चाहिए, ये दुनिया और इको‍-सिस्‍टम के लिए 'मौत की सजा' की तरह है। उन्‍होंने चेताया कि कोई हैरत की बात नहीं कि 3 जून का रिकॉर्ड जल्‍दी ही टूट जाए।

गर्मी ने ढहाए कैसे-कैसे कहर
दुनिया में गर्मी के इस कहर ने कैसे-कैसे कहर ढहाए हैं इस पर नजर डालें तो यह बहुत चिंता में डालने वाला है।
चीन की राजधानी बीजिंग में तापमान के रिकॉर्ड तोड़ने के बाद दो सप्ताह से भी कम समय में चीन भीषण गर्मी की नई लहर का सामना कर रहा है। Edited By navin rangiyal

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