आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का जन्म चित्तूर जिले के नरवरीपल्ली गांव में 20 अप्रैल सन् 1950 को हुआ।
9वीं कक्षा तक की शिक्षा चन्द्रगिरि शासकीय विद्यालय से प्राप्त कर नायडू ने उच्च शिक्षा के लिए तिरुपति का रुख किया और आगे चलकर श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया।
युवावस्था में ही उन्होंने राजनीति में क़दम रख दिया था, उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 'पुलिचेरला यूथ कांग्रेस' के प्रेसीडेंट के तौर पर हुई। चंद्रबाबू नायडू भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के नज़दीकी लोगों में से एक थे।
नायडू को पहली बार 1978 में कांग्रेस की ओर से टिकट मिला और इसके बाद वे मात्र 28 वर्ष की आयु में राज्य मंत्री बने थे, वे राज्य के तकनीकी शिक्षा और सिनेमेटोग्राफी मंत्री के पद पर आसीन हुए थे। इस दौरान उन्होंने तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार नंदमुरी तारक रामा राव (एनटीआर) की बेटी से विवाह किया लिहाज़ा उनकी एनटीआर से काफ़ी घनिष्ठता थी।
कुछ समय बाद एनटीआर ने एक अलग पार्टी बनाने की घोषणा की जिसे तेलुगुदेशम पार्टी नाम दिया गया। एनटीआर ने नायडू के समक्ष तेदपा में शामिल होने का प्रस्ताव रखा, लेकिन नायडू ने कांग्रेस की ओर से चंद्रगिरि क्षेत्र से चुनाव लड़ा, चुनावों में तेदपा आश्चर्यजनक रूप से विजयी रही, यह पहली बार था जब आंध्रप्रदेश में कांग्रेस ने मात का स्वाद चखा था।
इस हार के बाद सन् 1983 में नायडू तेदेपा में शामिल हो गए। सन् 1985 में वह तेदेपा के सेक्रेटरी बन गए। नायडू के नेतृत्व में सन् 1996 के लोकसभा चुनाव में तेदेपा ने 42 में से 29 सीटें हासिल कीं और 1999 के विधानसभा चुनावों में 294 में से 185 सीटें हासिल की।
2004 के विधानसभा चुनाव में तेदेपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा और नायडू मुख्यमंत्री के पद से पदच्युत हो गए। सन् 2009 के लोकसभा चुनावों में तेदेपा को दोबारा हार का सामना करना पड़ा, इस दौरान पार्टी विधानसभा चुनावों में भी कुछ ख़ास नहीं पाई।