संजय सिंह का सरकार पर आरोप, नए कृषि कानून 4 पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाए गए

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021 (15:11 IST)
नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि ये कानून किसानों के लिए नहीं बल्कि 4 पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाए गए हैं।
 
उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए सिंह ने नए कृषि कानूनों को काला कानून करार देते कहा कि इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 76 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और उन्हें आतंकवादी, गद्दार व खालिस्तानी कहकर अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ नेता किसानों को अपमानित कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन वह असफल रही है। सरकार कहती है कि वह एक फोन कॉल पर बातचीत के लिए तैयार है, ऐसे में खुद सरकार को ही फोन कर पहल करनी चाहिए।
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सिंह ने कहा कि आंदोलन के दौरान 165 किसानों की मौत हो चुकी है और कई वयोवृद्ध किसान भी आंदोलन में शामिल हैं। किसानों को नए कानून समझ में आ गया है जिसमें असीमित भंडारण की छूट दी गई है। उन्होंने दावा किया कि असीमित भंडारण की सुविधा देने से जमाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार 130 करोड़ लोगों के लिए नहीं बल्कि 4 पूंजीपतियों के लिए है जिनसे चंदा लेकर वे चुनाव लड़ते हैं। उनकी पार्टी किसानों के इस आंदोलन का समर्थन करती रहेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि वे किसानों के लिए पानी और शौचालय आदि का इंतजाम कर रहे हैं लेकिन सरकार उन्हें रोक रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले में हुई घटना के लिए भाजपा के कार्यकर्ता दोषी हैं।
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सिंह ने सवाल किया कि सरकार को किसानों के साथ क्या दुश्मनी है, जो उसने प्रदर्शन स्थलों पर लंबी कीलें लगा दी हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार के जुल्म के कारण एक किसान नेता रो पड़े। सिंह ने एक वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमे का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि सरकार पत्रकारिता को दबाने का प्रयास कर रही है।

सिंह ने सत्ता पक्ष पर गलतबयानी करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि आप कहते हैं कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जिन कृषि सुधारों का वादा किया था, उन्हें अब कानून की शक्ल देने के बाद वह इनका विरोध कर रही है लेकिन असलियत कुछ और है। कांग्रेस (सरकार के कार्यकाल में प्रस्तावित) के कृषि सुधारों का उस समय भाजपा नेता अरुण जेटली और सुषमा स्वराज ने विरोध किया था। (भाषा)

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