गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के बाद संगठन ने किसान आंदोलन से अपना समर्थन वापस ले लिया था। बाद में रविवार को इसने 21 अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर उत्तरप्रदेश किसान मजदूर मोर्चा का गठन किया। सिंह ने कहा कि उत्तरप्रदेश के प्रत्येक गांव से 5 किसान सुबह 9 से शाम 5 बजे तक रोज उपवास रखेंगे। दोपहर 3 बजे किसान 2 मिनट का वीडियो संदेश रिकॉर्ड करेंगे जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना परिचय देंगे और केंद्र के नए कृषि कानूनों के प्रति अपनी चिंताएं साझा करेंगे। यह संदेश हमारी वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जब तक सभी गांव के सभी किसानों का उनकी गेहूं की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फैसला नहीं हो जाता, यह जारी रहेगा। सिंह ने कहा कि देश में ज्यादातर किसाल लघु या सीमांत हैं और वे दिल्ली जाकर प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते हैं, ऐसे में वे अपने गांवों में रहकर खेतों व मवेशियों की देखभाल करते हुए प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं।
किसान नेता ने दावा किया कि उत्तरप्रदेश में 65,000 पंचायतें हैं और अगर उनमें से 20,000 गांव भी आंदोलन का हिस्सा बनेंगे तो प्रधानमंत्री के पास रोजाना 1 लाख संदेश पहुंचेंगे और 1 महीने में इनकी संख्या 30,00,000 तक पहुंच जाएगी। वह भी ऐसे में जबकि हम सिर्फ 20,000 गांवों के बारे में ही बात कर रहे हैं। सोचकर देखें कि अगर 50,000 गांव हमारे साथ आ गए तो क्या होगा? क्या प्रधानमंत्री मोदी फिर भी कहेंगे कि इन गांवों से आ रहे संदेश किसानों के नहीं हैं? (भाषा)