उन्होंने कहा कि वर्ष 2010-11 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में कृषिमंत्री शरद पवार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजे गए पत्र में कहा था कि खासकर एपीएमसी एक्ट में व्यापक संशोधन की जरूरत है और एक मॉडल एक्ट इसके लिए तैयार किया जा रहा है। इस कानून के अनुसार ही इसे देश में लागू किया जाना चाहिए। उस सरकार में राकांपा, वाम दल, द्रमुक, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस जैसे दल या तो सरकार में शामिल थे या उसका समर्थन कर रहे थे।
योगी ने कहा कि आखिर वर्ष 2010-11 के दौरान लिखे गए पत्र पर कांग्रेस या राकांपा और उसके समर्थक दल आज अपने पूर्व के वक्तव्यों से कैसे मुकर सकते हैं? यह इनके दोहरे चरित्र को दिखाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को लागू करने से पहले संसद की स्थायी समिति की बैठक में इन पर व्यापक चर्चा हुई। उस बैठक में भी अकाली दल, सपा, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, राकांपा, नेताओं ने राज्यों के एपीएमसी एक्ट में संशोधन करने और मॉडल एक्ट लागू करने की वकालत की थी। आज वही दल किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर अराजकता और अव्यवस्था पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
योगी ने दावा किया कि वर्ष 2014 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद तब कांग्रेस महासचिव के रूप में राहुल गांधी ने माना था कि कांग्रेस एपीएमसी एक्ट में संशोधन की पक्षधर है और वह सब्जी और फलों को मंडी से मुक्त करने का समर्थन कर रही थी, इसीलिए उसकी हार हुई। (भाषा)