Father's Day पर 3 अद्भुत कविताएं

पिता वो ज्ञान का प्रकाश है जिसकी रौशनी में पुरे परिवार का भविष्य उज्वल रहता है। पिता घर की वो नींभ है जिसके बिना घर कच्चा सा लगता है। हमारे पिता को इन शब्दों में वर्णित करना इतना आसान नहीं है। सबके जीवन में पिता के अलग महत्व होते हैं। हम अक्सर मां से तो अपनी मन की बात कह देते हैं पर अपने पिता से कहना थोडा कठिन होता है। इस फादर्स डे आप इन खूबसूरत कविताओं के ज़रिए अपने पिता से मन की बात व्यक्त कर सकते हैं।


पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है,
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।
पिता ज़मीर है पिता जागीर है
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को सब ऊपर वाला देता है
पर भगवान का ही एक रूप पिता का शरीर है। -संकल्प शर्मा


ना जाने ईश्वर ने ये कैसा रिश्ता बनाया है,
वो शख्स इस दोपहरी में शीतल सी छाया है।
हर ठोकर को मुझ तक आने से पहले उन्होंने खाया है,
क्या लिखूं मैं उनके बारे मे जिन्होंने लिखने के काबिल बनाया है।
इस नादान परिंदे को आपने ही तो परियों सा सजाया है,
हर सपने को उन्होंने हकीकत बनाया है।
इस अल्प विराम को उन्हीने पूर्ण विराम बनाया है,
अधूरे से स्वर को गीत बना दिया
मेरी हार को उन्हीने सीने से लगाके जीत बना दिया।
वो खुदा ने भी जब मांगी होगी दुआ खैरियत किसी की
तभी उन्होंने पिता बना दिया। -मुस्कान चौकसे


उंगली थाम मेरी, जिसने चलना सिखाया,
साइकिल संभाल मेरी, उसने संबल बढ़ाया,
मेरी खुशियां जिसने, अपने सिर माथे लगाई,
जिसकी परवरिश ने मेरी किस्मत बनाई।
कुछ डांट का, कुछ प्यार सा, खट्टा मीठा रिश्ता हमारा,
यादों से भरा है ये लम्हा हमारा,
तुम रास्ता हो और मैं मासूम मुसाफिर तुम्हारा
इस मुसाफिर का बस तुम्हारी सहारा। -जतिन लालवानी
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