जापान ने शुरुआत में तेज हमले बोलकर उम्मीद जगाई लेकिन फिर डिफेंस में अपनी ताकत का अहसास करवाकर बेल्जियम को सकते में डाल दिया। जापान की यही बड़ी उपलब्धि रही कि उसने खेल के पहले 45 मिनट तक बेल्जियम को गोल करने का कोई मौका नहीं दिया। बेल्जियम ने 10 बार और जापान ने 4 बार गोल करने की कोशिश की लेकिन किसी टीम को कामयाबी नहीं मिली।
हॉफ टाइम के बाद खेल शुरू होते ही 48वें मिनट पर चार टच में जेनकी हारागुची ने जापान के लिए पहला गोल दागकर पूरे स्टेडियम को हिलाकर रख दिया। 1-0 का स्कोर होने के बाद बेल्जियम ने काउंटर अटैक किया। ईडन हेजार्ड का दुर्भाग्य रहा कि गोली की तरह गया शॉट जापान के गोलपोस्ट से टकरा गया वरना स्कोर 1-1 से बराबर हो गया होता।
मैच में तब भूचाल आ गया, जब जापान के ताकाशी इनुई ने दूसरा गोल दाग दिया। जापान के इस खिलाड़ी के जोश, जज्बे और जुनून की तारीफ करनी होगी। इनुई ने दूर से शॉट लेकर इस विश्व कप का अद्भुत गोल दागा। 5 मिनट के भीतर जापान ने 2 गोल करके बेल्जियम को बैकफुट पर धकेल दिया था।
1998 से लगातार विश्व कप खेल रहा है जापान : जापान 1998 से विश्व कप में लगातार अपने मैच खेल रहा है। 2002 के विश्व कप में जापान और बेल्जियम की टक्कर हुई थी, जहां मुकाबला बराबरी पर छूटा था। अंतिम बार ये दोनों टीमें 2017 के नवंबर में भिड़ी थीं, जहां बेल्जियम 1 गोल से मुकाबला जीतने में सफल रही थी।
बेल्जियम 22 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपराजेय : पिछले लगातार 22 मैचों में बेल्जियम ने कोई भी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला नहीं गंवाया है और इस विश्व कप में फीफा रैंकिंग में तीसरे नंबर की इस टीम को जापान के खिलाफ मुकाबले के पहले हॉफ में गोल करने के कई अवसर मिले, लेकिन वे डिफेंस में जापान की दीवार को नहीं भेद सके। सनद रहे कि जापान एकमात्र पहली एशियन टीम है, जो अंतिम 16 में पहुंची थी। विश्व कप शुरू होने पर जापान रैंकिंग में सबसे निचले क्रम की टीम थी।