मैच हारने के साथ टूर्नामेंट में उम्मीदों से कहीं ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करते हुए अंतिम आठ में पहुंचे रूस के सफर का भावुक अंत हुआ। इसके साथ 1966 के बाद से पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचने की उसकी उम्मीदें धराशाई हो गई। नियमित और अतिरिक्त समय में मुकाबला 2-2 से बराबर रहने के बाद पेनल्टी शूटआउट खेला गया जिसके बाद मेजबान टीम 3-4 से हार गई।
रूस की टीम ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘हम आंखों में आंसू लेकिन गर्व के साथ सिर उठाकर टूर्नामेंट से बाहर हो रहे हैं।’’ रूस के पास गौरवान्वित महसूस होने का पूरा कारण है। विश्व कप शुरू होने के साथ मीडिया को लग रहा था कि टूर्नामेंट में सबसे निचली रैंकिंग वाली टीम किस्मत से ही कोई मैच जीतेगी। लेकिन रूस ने सबको गलत साबित किया।
रूस पिछले 48 वर्षों में पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचा। उसने ग्रुप चरण के अपने पहले मैच में सऊदी अरब को 5-0 से और दूसरे मैच में मिस्र को 3-1 से हराया। हालांकि वह अपना तीसरा मैच उरूग्वे से 0-3 से हार गया लेकिन अगले दौर में पहुंचने में सफल रहा। प्री क्वार्टर फाइनल में रूस ने 1-1 से मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद स्पेन को पेनल्टी शूटआउट में 4-3 से हराकर पूरी दुनिया को चौंका दिया।
शनिवार के मैच में भी रूस ने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की लेकिन इस बार किस्मत उसके साथ नहीं थी और वह भले ही मैच हार गया लेकिन देश और दुनिया के करोड़ों फुटबॉल प्रेमियों का दिल जीतने में सफल रहा। रूस के खेल को सलाम करते हुए लोकप्रिय स्थानीय अखबार ने अपनी खबर के शीर्षक में लिखा, ‘हमारे दिलों की विजेता।’ अखबार ने इसके बाद उसकी तारीफ करते हुए लिखा कि रूस को पता है फुटबॉल कैसे खेलते हैं। (भाषा)