आखिर दोस्ती के क्या मायने हैं और दोस्त किसे कहते हैं, इस पर पोथी-पानड़े भरे पड़े हैं लेकिन पढ़ने की फुरसत नहीं है। पढ़ भी लो तो समझने की मशक्कत नहीं कर सकते हैं। भागमभाग भरे जीवन में दोस्ती लगभग खत्म ही हो चली है। हाँ, दोस्तों की दोस्ती कहीं बची है तो दुनियाभर के वह गाँव हैं जहाँ शहरी सभ्यता ने अभी दखल नहीं दिया है। यार-गोईं अभी भी एक-दूसरे के लिए जान देने के लिए तैयार है।