राक्षस अनलासुर को निगल लिया था
पुराणों में वर्णित कथा अनुसार, एक समय लोगों को जीवित ही निगल लेने वाले राक्षस अनलासुर का भयंकर आतंक मचा हुआ था। उसका अत्याचार इतना बढ़ गया था कि उसने स्वर्ग और पाताल लोकों को भी परेशान कर दिया था। तब सभी देवता अत्यधिक परेशान हो, इस संकट से मुक्ति पाने के लिए, भगवन शिव के पास पहुंचे। भगवन शिव ने इसका समाधान गणेश जी से पूछने को कहा। सभी देवताओं ने गणेश जी की स्तुति कर उनसे अनलासुर का वध करने की प्रार्थना की। गणेश जी ने राक्षस अनलासुर को निगल लिया, लेकिन इससे उनके पेट में काफी जलन होने लगी।
दूर्वा ने शांत की पेट की ज्वाला
अनेक उपाय किए गए, लेकिन ज्वाला शांत नहीं हुई। जब कश्यप ऋषि को यह बात मालूम हुई, तो ये तुरंत कैलास गए और 21 दूर्वा एकत्रित कर एक गांठ तैयार कर गणेश जी को खिलाई, जिससे उनके पेट की ज्वाला तुरंत शांत हो गई। इससे गणेशजी का ताप शांत हो गया था। इस कारण से भगवान गणेश को दूर्वा पसंद है।