अनंत चतुर्दशी व्रत की महिमा

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यूं तो यह व्रत नदी-तट पर किया जाना चाहिए और हरि की लोककथाएं सुननी चाहिए। लेकिन संभव ना होने पर घर में ही स्थापित मंदिर के सामने हरि से इस प्रकार की प्रार्थना की जाती है-

'हे वासुदेव, इस अनंत संसार रूपी महासमुद्र में डूबे हुए लोगों की रक्षा करो तथा उन्हें अनंत के रूप का ध्यान करने में संलग्न करो, अनंत रूप वाले प्रभु तुम्हें नमस्कार है।'

* इस मंत्र से हरि की पूजा करके तथा अपने हाथ के ऊपरी भाग में या गले में धागा बांध कर या लटका कर (जिस पर मंत्र पढ़ा गया हो) व्रती अनंत व्रत को पूर्ण करता है। यदि हरि अनंत हैं तो 14 गांठें हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों की प्रतीक हैं।


अनंत चतुर्दशी पर कृष्ण द्वारा युधिष्ठिर से कही गई कौण्डिन्य एवं उसकी स्त्री शीला की गाथा भी सुनाई जाती है। कृष्ण का कथन है कि 'अनंत' उनके रूपों का एक रूप है और वे काल हैं जिसे अनंत कहा जाता है। अनंत व्रत चंदन, धूप, पुष्प, नैवेद्य के उपचारों के साथ किया जाता है।

इस व्रत के विषय में कहा जाता है कि यह व्रत 14 वर्षों तक किया जाए, तो व्रती विष्णु लोक की प्राप्ति कर सकता है।

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इस दिन भगवान विष्णु की कथा होती है। इसमें उदय तिथि ली जाती है। पूर्णिमा का सहयोग होने से इसका बल बढ़ जाता है। यदि मध्याह्न तक चतुर्दशी हो तो ज्यादा बेहतर है।

जैसा इस व्रत के नाम से प्रतीत होता है कि यह दिन उस अंत न होने वाले सृष्टि के कर्ता ब्रह्मा की भक्ति का दिन है। इस व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।


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भगवान सत्यनारायण के समान ही अनंत देव भी भगवान विष्णु का ही एक नाम है।

यही कारण है कि इस दिन सत्यनारायण का व्रत और कथा का आयोजन प्राय: किया जाता है। जिसमें सत्यनारायण की कथा के साथ-साथ अनंत देव की कथा भी सुनी जाती है

(समाप्त)

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