ganesh ji ki murti kaise kharidna chahiye: गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भक्तों के लिए विशेष महत्व लेकर आता है। यह सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि भावनाओं, श्रद्धा और सकारात्मकता का प्रतीक है। हर घर में जब बप्पा विराजमान होते हैं तो वहां एक अलग ही ऊर्जा और पवित्रता का माहौल बनता है। लोग महीनों पहले से ही मूर्ति की खोज शुरू कर देते हैं ताकि उनके घर का वातावरण सुख-शांति और समृद्धि से भर सके। लेकिन अक्सर लोग बप्पा की मूर्ति चुनते समय केवल सुंदरता पर ध्यान देते हैं और शुभता के नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि वास्तु शास्त्र और परंपराओं के अनुसार, मूर्ति की बनावट, आकार, रंग और दिशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अगर यह सब सही तरीके से किया जाए तो घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कई गुना बढ़ जाता है।
मूर्ति का आकार और ऊंचाई का रखें ध्यान
गणपति बप्पा की मूर्ति खरीदते समय सबसे पहले उनके आकार और ऊंचाई पर ध्यान देना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि घर में स्थापित की जाने वाली मूर्ति बहुत बड़ी नहीं होनी चाहिए। 9 से 11 इंच की मूर्ति घर के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। बड़ी मूर्तियों को संभालना मुश्किल होता है और विसर्जन के समय पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। इसलिए छोटी और आकर्षक मूर्ति चुनना ही बेहतर है।
बप्पा की मुद्रा और भाव-भंगिमा
गणपति बप्पा की मूर्ति की मुद्रा भी शुभता के लिए खास मायने रखती है। घर में विराजमान करने के लिए बैठे हुए गणपति सबसे शुभ माने जाते हैं। बैठे हुए बप्पा स्थिरता, शांति और स्थायी सुख का प्रतीक हैं। वहीं खड़े हुए गणपति अधिकतर सार्वजनिक पंडालों में स्थापित किए जाते हैं। इसके अलावा, मूर्ति के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में कोमलता होनी चाहिए क्योंकि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
सूंड की दिशा का महत्व
गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय उनकी सूंड की दिशा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वास्तु शास्त्र में बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली मूर्ति को सबसे शुभ माना गया है। यह सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है। दाईं ओर सूंड वाली गणेश प्रतिमा खास तरह की साधना और कड़े नियमों के पालन के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसलिए सामान्य पारिवारिक जीवन में इसकी स्थापना करने की अनुशंसा नहीं की जाती। अगर घर में मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो कोशिश करें कि सूंड बाईं ओर हो।
बप्पा का वाहन और मोदक
गणपति बप्पा की मूर्ति खरीदते समय यह भी देख लें कि मूर्ति में उनके वाहन मूषक (चूहा) और हाथ में मोदक अवश्य हो। यह दोनों चीजें गणपति जी की कृपा और पूर्णता के प्रतीक हैं। जहां वाहन मौजूद होता है, वहां जीवन में सहयोग और संतुलन बना रहता है, और जहां मोदक होता है वहां प्रसन्नता और सफलता का वास होता है।
रंग और सामग्री का चुनाव
आजकल बाजार में गणपति की मूर्तियां अलग-अलग रंगों और डिज़ाइनों में मिलती हैं। लेकिन शुभता के लिए प्राकृतिक और हल्के रंगों वाली मूर्ति चुनना बेहतर माना जाता है। सफेद, पीला और हल्का हरा रंग सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इसके अलावा, कोशिश करें कि मूर्ति की सामग्री मिट्टी (शाडू माटी) की हो। इससे न केवल धार्मिक महत्व बढ़ता है, बल्कि यह पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाती। प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों से बचना चाहिए क्योंकि वे पानी में घुलती नहीं और प्रदूषण फैलाती हैं।
मूर्ति खरीदते समय शुद्धता और भावना
गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय मन और घर की शुद्धता का भी ध्यान रखना चाहिए। मूर्ति को दुकान से सीधे घर लाते समय उसमें कोई दिखावटी जल्दबाजी न करें। इसे पूरे आदर और श्रद्धा के साथ लाना चाहिए, मानो बप्पा खुद आपके घर पधार रहे हों। मूर्ति लाने से पहले घर की सफाई करें और उन्हें विराजमान करने के स्थान को सजाकर तैयार रखें।
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