गणेशजी की पत्नियां : गणेशजी की ऋद्धि और सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं, जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के 2 पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही 'शुभ-लाभ' कहा जाता है। संतोषी माता को गणेशजी की पुत्री कहा गया है। गणेशजी के पोते आमोद और प्रमोद हैं। शास्त्रों में तुष्टि और पुष्टि को गणेशजी की बहुएं कहा गया है।
रिद्धि और सिद्धि : श्रीगणेश के साथ-साथ उनकी दोनों पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि एवं उनके पुत्र शुभ-लाभ (लाभ व क्षेम) का पूजन भी किया जाता है। ऋद्धि (बुद्धि- विवेक की देवी) और सिद्धि (सफलता की देवी) हैं। स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं। रिद्धि और सिद्धि की निम्न मंत्र से उपासना करने से दरिद्रता और अशांति का नाश हो जाता है। घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
* लाभ मंत्र- ॐ सौभाग्य प्रदाय धन-धान्ययुक्ताय लाभाय नम:।
सिद्धि का अर्थ : सिद्धि शब्द का सामान्य अर्थ है सफलता। सिद्धि अर्थात किसी कार्य विशेष में पारंगत होना। समान्यतया सिद्धि शब्द का अर्थ चमत्कार या रहस्य समझा जाता है, लेकिन योगानुसार सिद्धि का अर्थ इंद्रियों की पुष्टता और व्यापकता होती है। अर्थात, देखने, सुनने और समझने की क्षमता का विकास। सिद्धियां दो प्रकार की होती हैं, एक परा और दूसरी अपरा। विषय संबंधी सब प्रकार की उत्तम, मध्यम और अधम सिद्धियां 'अपरा सिद्धि' कहलाती है। यह मुमुक्षुओं के लिए है। इसके अलावा जो स्व-स्वरूप के अनुभव की उपयोगी सिद्धियां हैं वे योगिराज के लिए उपादेय 'परा सिद्धियां' हैं।