कोलकाता। अभी तक बंगाल के चुनावों में त्रिकोणीय मुकाबला होता था जिनमें तीन कोण सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वामपंथी दल रहे हैं, लेकिन इस बार मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी शामिल हो गई है। हालांकि भाजपा के प्रयासों के बड़े और दूरगामी परिणाम सामने नहीं आते प्रतीत होते हैं लेकिन इतना तय है कि इस बार बंगाल में भाजपा का वोट शेयर निश्चित तौर पर बढ़ने वाला है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के बीच चुनाव प्रचार के दौरान नोक-झोंक से भाजपा के समर्थकों की संख्या बढ़ी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि मोदी लहर से जहां केसरिया पार्टी को तो लाभ होगा ही, लेकिन जहां भाजपा मैदान में मजबूत स्थिति में नहीं हैं वहां मोदी लहर वामपंथियों की भी मदद कर सकती है। जानकारों का कहना है कि राजनीतिक तौर पर चेतन और पुराने मतदाताओं के चलते वामपंथी दलों को लाभ होगा क्योंकि वामपंथियों के प्रतिबद्ध मतदाता कांग्रेस या टीएमसी को वोट नहीं देंगे।
अपने चुनाव प्रचार में ममता ने कभी नहीं माना कि राज्य में मोदी की लहर प्रभावी है, लेकिन बाद के दिनों में उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें भी भाजपा के गढ़ों में प्रचार करना चाहिए। वे पार्टी कार्यकर्ताओं पर झूठे मामले भी दर्ज करा रही हैं, ऐसा कहना है पार्टी के बंगाल प्रभारी सिद्धार्थनाथ सिंह का। वे मानते हैंकि इस बार पार्टी का वोट शेयर पिछली दौर के 6 फीसदी से 12 फीसद या अधिक भी हो सकता है। कोलकाता के बड़ा बाजार के पुराने जानकारों का कहना है कि ममता निश्चित तौर पर बंगाल में जीत हासिल करेंगी, लेकिन इसके साथ ही मोदी का प्रभाव भी अनुभव किया जा रहा है।
राज्य में नमो पेन, मोदी की तस्वीरें और पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल का फूल बहुत लोकप्रिय हो रहा है। एक स्टेशनरी शॉप के मालिक सुदर्शन चितलांग्या का कहना है कि नमो पेन बहुत लोकप्रिय हैं... लोग इन्हें पसंद कर रहे हैं और इनकी मांग बढ़ती जा रही है।' वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रुचिर जोशी का कहना है कि बंगाल एक दिलचस्प बदलाव से गुजर रहा है। उनका कहना है कि कोलकाता में सभी प्रकार के दल अपना प्रभाव दिखाने और उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हो सकते हैं लेकिन शेष राज्य में उनकी पार्टी की मजबूत मौजूदगी है।
उनका कहना है कि इस बार के चुनावों में भाजपा के वोटों का शेयर बढ़ सकता है, लेकिन इससे पार्टी को कोई सीट मिलने की गारंटी नहीं है। वामपंथियों ने अभी तक कट्टरपंथियों पर नियंत्रण रखा है लेकिन ममता इस्लामी कट्टरपंथियों के साथ घुल मिल रही हैं...इससे हिंदू वोटों पर असर पड़ेगा। यह एक ऐसा परिवर्तन है जिस पर ममता और मोदी दोनों की निगाह है। टीएमसी प्रमुख हर संभव कोशिश कर रही हैं कि मुस्लिम वोट उनके हाथ से ना फिसलें और कट्टरपंथियों के साथ उनका मेल राज्य में भाजपा के पक्ष में जा सकता है। बंगाल में वामपंथियों के लिए आशा की एक किरण है और यह किरण दक्षिणपंथियों की ओर से आ रही है।