राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों के लिए इस बार कड़े और रोचक मुकाबले देखने को मिलेंगे। हाल के विधानसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत से जहां भाजपा का मनोबल बढ़ा हुआ है, वहीं वर्तमान लोकसभा में 20 सीटें होने के बावजूद कांग्रेसी खेमा निराशा से उबर नहीं पा रहा है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं।
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ऐसी अटकलें हैं कि पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल विनय कुमार (वीके) सिंह राजस्थान की झुंझुनू सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सिंह ने हाल ही में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। हालांकि वे पहले इस बात से साफ इनकार करते रहे थे कि वे सक्रिय राजनीति में नहीं आएंगे, न ही चुनाव लड़ेंगे।
अब यदि पार्टी शेखावाटी की इस सीट से उनके नाम पर मुहर लगाती है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि मुकाबला काफी रोचक होगा, क्योंकि आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार का पहले ही ऐलान कर चुकी है। 'आप' का उम्मीदवार और कोई नहीं बल्कि सेना के ही एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल राज कादयान हैं।
जब दो जनरल आमने-सामने होंगे तो पूरे देश की नजरें स्वाभाविक तौर पर यहां आकर टिक जाएंगी। हालांकि एक अनुमान यह भी है कि वीके सिंह को हरियाणा के भिवानी से भी चुनाव में उतारा जा सकता है, लेकिन उन्हें झुंझनू से उतारे जाने की संभावना ज्यादा है।
वीके सिंह और राज कादयान में काफी समानताएं हैं, दोनों सेना में उच्च पद पर रहे हैं साथ ही मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। राज का ताल्लुक झज्जर जिले से हैं, जबकि सिंह भिवानी से संबंध रखते हैं। झुंझुनू से भी दोनों का संबंध है। कादयान का जिले के काजला गांव में ननिहाल है और सिंह की पिलानी में शिक्षा-दीक्षा हुई है।
कादयान का मानना है कि जीवनभर देश की रक्षा की है। सैनिक परिवारों के लिए वन रैंक वन पेंशन मुद्दे पर संघर्ष किया है। इसी संघर्ष के कारण वे काफी समय से जिले के लोगों से मिल रहे थे। यहां के किसानों, मजदूरों, युवाओं एवं आम आदमी के आग्रह पर उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय किया है। दूसरी ओर जनरल सिंह मानते हैं कि भाजपा ही एकमात्र पार्टी है जो राष्ट्रवादी विकल्प उपलब्ध करवाती है। इसी कारण वे इससे जुड़े हैं।
कांग्रेस ने राहुल फार्मूले के तहत दिवंगत शीशराम ओला की बहू और बृजेन्द्र की पत्नी राजबाला को उम्मीदवार बनाया है। झुंझुनूं जिला प्रमुख रह चुकीं राजबाला को 816 वैध मतों में से सर्वाधिक 504 मत मिले।
कांग्रेस के लिए यहां सबसे बड़ी चिंता अपनी सीट को बचाने की होगी, वहीं भाजपा 'मोदी फैक्टर' के दम पर यहां कब्जा जमाना चाहेगी। 'आप' के जनरल कादयान को किसी भी तरह कमतर नहीं आंका जा सकता, वे भी उलटफेर कर सकते हैं। हालांकि भाजपा ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन यह तय है कि झुंझनू में इस बार मुकाबला कांटे का होगा।
झुंझुनू के जातिगत समीकरण पर नजर डाली जाए तो यहां करीब 40 फीसदी जाट मतदाता हैं और ये निर्णायक स्थिति में भी हैं, लेकिन ये वोट जनरल कादयान और राजबाला के बीच बंट सकते हैं, जिससे तीसरे को फायदा हो सकता है।
यहां 20 फीसदी के लगभग राजपूत वोटर हैं, जबकि ब्राह्मण 10-12 प्रतिशत के करीब है, वैश्य वोटर भी इतनी ही संख्या में हैं। वैसे इस बार बहुसंख्य मतदाता का रुझान और हवा का रुख भाजपा के पक्ष में दिख रहा है। परिणाम जो भी हो, लेकिन यदि जनरलों की जंग होती है तो मुकाबले पर सबकी नजर रहेगी।