कानपुर में तापमान बढ़ा, चुनाव प्रचार ठंडा

शुक्रवार, 28 मार्च 2014 (15:52 IST)
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कानपुर। भले ही कानपुर में बढ़ते तापमान से आबोहवा गर्म हो गई है लेकिन चुनावी चौपालें लगभग ठंडी हैं। शहर के माहौल को देखते हुए लगता ही नहीं है कि यहां से कांग्रेस की ओर से 3 बार से कानपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल मैदान में हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी की तरह से उनके वरिष्ठ नेता और पूर्व मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी मैदान में हैं।

वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने मशहूर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. महमूद रहमानी को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी ने सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतारा है। अग्रवाल को पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 35 हजार वोट मिले थे जबकि चुनाव जीतने वाले जायसवाल को करीब 2.25 लाख मत मिले थे। बहुजन समाज पार्टी ने मोहम्मद सलीम को शहर से उम्मीदवार बनाया है।

वर्तमान सांसद जायसवाल हफ्ते में 3 दिन कुछ मोहल्लों में घूम-घूमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। मुरली मनोहर जोशी तो 21 मार्च को पहली यात्रा के बाद शहर आए नहीं हैं। भाजपा नेता सुरेन्द्र मैथानी का कहना है कि जोशी शुक्रवार शाम को शहर आ रहे हैं और शुक्रवार को से वे विधिवत चुनाव प्रचार करेंगे।

'आप' उम्मीदवार महमूद रहमानी का दावा है कि जनता जायसवाल के भ्रष्टाचार और नाकामी से ऊबकर स्वच्छ प्रशासन चाहती है तथा वह उनके साथ खड़ी होगी। वे दावा करते हैं कि हर धर्म व वर्ग के लोग 'आप' की स्वच्छ और ईमानदार छवि के कारण उनसे जुड़ रहे हैं।

रहमानी यह भी दावा करते हैं कि उनकी टक्कर भाजपा प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी से होगी। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल पार्टी की आपसी कलह और गुटबाजी निपटाने में लगे हैं।

शहर में सपा का अध्यक्ष कोई नहीं है इसलिए उनके पास आम जनता के बजाय पार्टी के अध्यक्ष पद के दावेदारों की भीड़ ज्यादा रहती है। वैसे अग्रवाल दावा करते हैं कि उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी ने जो विकास कार्य किए हैं उसकी बदौलत जनता उन्हें वोट देगी और वे चुनाव जीत जाएंगे।

उधर बसपा प्रत्याशी सलीम का दावा है कि उन्हें बहुजन समाज पार्टी के काडर वोट तो मिलेंगे साथ ही मुस्लिम समाज उनके साथ है इसलिए इस बार उनकी जीत पक्की है।

गौरतलब है कि कानपुर से अभी तक समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने एक बार भी लोकसभा सीट नहीं जीती है। यहां की सीट पर अधिकतर कांग्रेस और भाजपा का कब्जा ही रहा है। (भाषा)

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