जंग हो या राजनीति 'शत्रु' को कभी कमजोर मत समझो-कादयान

वे उम्र के सात दशक पूर्ण कर चुके हैं मगर जोश और जज्बा अभी भी युवा सैनिक जैसा ही है। आज भी अपने देश और समाज के लिए बहुत कुछ करने की इच्छा मन में पाले हुए हैं।
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हमने टेलीफोन पर उनसे साक्षात्कार के लिए अनुरोध किया तो वे बिना किसी औपचारिकता के तत्काल और सहर्ष तैयार हो गए। हम बात कर रहे हैं राजस्थान की झुंझुनू लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) राजेन्द्रसिंह कादयान की। वे मानते हैं कि जंग का मैदान हो या फिर राजनीति का अखाड़ा 'दु‍श्मन' को कभी भी कमजोर नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने सभी सवालों के जवाब बड़ी ही सहजता से दिए। प्रस्तुत हैं राज कादयान से बातचीत के प्रमुख अंश...


प्रश्न : आप किन मुद्दों के आधार पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं?
उत्तर : हमारी पार्टी का भरोसा स्वराज और स्वच्छ तथा पारदर्शी सरकार में है। स्वराज का उद्देश्य सत्ता को जनता के साथ शेयर करना है। हम स्वयं को जनता का नौकर मानते हैं। आमतौर पर होता यह है कि लोग सत्ता में आने के बाद खुद को मालिक समझने लगते हैं, जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए। बाकी उन सभी मुद्दों के साथ हम चुनाव लड़ने जा रहे हैं, जो सीधे जनता की भलाई से जुड़े हुए हैं।

प्रश्न : चुनाव में मुख्य मुकाबला आप भाजपा से मानते हैं या फिर कांग्रेस से?
उत्तर : एक फौजी होने के नाते मेरा मानना है कि जंग का मैदान हो या फिर राजनीति 'दुश्मन' (राजनीति में प्रतिद्वंद्वी) कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरना चाहिए। जहां तक मुख्‍य मुकाबले की बात है तो इस बार भाजपा की हवा ज्यादा दिखाई दे रही है।

प्रश्न : बॉर्डर पर दुश्मन से लोहा लेना ज्यादा मुश्किल काम है या फिर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला?
उत्तर : दोनों ही चीजें अलग-अलग हैं और दोनों की तुलना ठीक नहीं है, लेकिन मेरे लिए दोनों ही जंग हैं। मैं लोकसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ूंगा।

प्रश्न : क्या आपको लगता है कि अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता छोड़ने में जल्दबाजी की?
उत्तर : मुझे नहीं लगता कि अरविन्द केजरीवाल ने सत्ता छोड़ी बल्कि भाजपा और कांग्रेस ने उन्हें सत्ता छोड़ने पर मजबूर किया। वे जन लोकपाल को मुद्दा बनाकर ही तो सत्ता में आए थे, जब वह बिल ही पास नहीं हो सका तो सत्ता में रहने कोई औचित्य नहीं था। भाजपा और कांग्रेस ने बिल को पास ही नहीं होने दिया। आप 49 दिन की सरकार ने जनता के हित में काफी काम किए, जितने इतने कम समय में किसी भी सरकार ने नहीं किए।

प्रश्न : आम आदमी पार्टी की कौनसी बातों ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर : इस समय आम आदमी पर सबसे बड़ा बोझ महंगाई का है और महंगाई का नाता सीधे-सीधे भ्रष्टाचार से है। आप ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे दिल से लड़ाई लड़ रही है। दिल्ली में आप के बहुत छोटे से कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।

प्रश्न : राजनीति में आने का मकसद क्या है?
उत्तर : मेरी व्यक्तिगत रूप से कोई आकांक्षा नहीं है। मैं सिर्फ लोगों के लिए काम करना चाहता हूं और उन्होंने ही मुझे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया है। रिटायरमेंट के बाद मैं चाहता तो शांति से जीवन बिता सकता था, गोल्फ खेलता और आराम से रहता, लेकिन मैंने लोगों को न्याय दिलाने के लिए यह रास्ता अख्तियार किया है। फौज में अच्छी बातें सीखी हैं, मैं चाहता हूं ये मेरे अपने लोगों के काम आएं।

प्रश्न : झुंझनू से चुनाव लड़ने की खास वजह?
उत्तर : हालांकि मूल रूप से मैं हरियाणा का रहने वाला हूं, लेकिन झुंझनू से मेरा बहुत ही करीबी रिश्ता है। यहां के काजला गांव में मेरा ननिहाल है और मेरे बचपन का काफी समय इस जिले में गुजरा है। इसके साथ वर्ष 2008 से लेकर अब तक मैं इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट का चेयरमैन हूं।

इस नाते मैंने वन रैंक वन पेंशन के लिए पूर्व सैनिकों के साथ लंबी लड़ाई लड़ी है। इस संदर्भ में भी मैं पूर्व सैनिकों से मिलने झुंझनू आता रहा हूं। यहां पूर्व सैनिकों की काफी संख्या है। बाद में पूर्व सैनिकों के साथ ही मुझसे किसान, व्यापारी, विद्यार्थी और अर्द्धसैनिक बल के लोग भी मिले। मैं यहां पिछले छह साल से सतत काम कर रहा हूं, लोगों से मिल रहा हूं। मैं आम आदमी की तरह ही चुनाव लड़ रहा हूं।

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