मायावती के बारे में बातें, जो शायद आप नहीं जानते होंगे
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लखनऊ। चुनाव कोई भी हो बात अगर उत्तर प्रदेश के वोटरों की आती है तो बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
अब लोकसभा चुनाव 2014 ही ले लीजिये, जैसे जैसे उत्तर प्रदेश सरकार की परफॉरमेंस गिरती जा रही है, वैसे-वैसे मायावती का सिक्का यूपी में जमता जा रहा है। खैर इस बार मैदान में भारतीय जनता पार्टी भी मजबूती से उतरी है।
खैर बात अब मायावती की चली है, तो चलिये उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं। आप सोचेंगे कि मायावती के राजनीतिक जीवन के बारे में क्या पढ़ना, तो हम आपको बता दें कि इस लेख में मायावती के बारे में ऐसी, बातें पता चलेंगी, जो शायद आप नहीं जानते होंगे।
निजी जीवन : मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 में दिल्ली में एक दलित परिवार के घर पर हुआ। पिता प्रभु दयाल जी भारतीय डाक-तार विभाग के वरिष्ठ लिपिक के पद से सेवा निवृत्त हुए। उनकी माता रामरती अनपढ़ महिला थीं परन्तु उन्होंने अपने सभी बच्चों की शिक्षा में रुचि ली और सबको योग्य भी बनाया।
मायावती के 6 भाई और 2 बहनें हैं। इनका पैतृक गाँव बादलपुर है जो उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित है। बीए करने के बाद उन्होंने दिल्ली के कालिन्दी कॉलेज से एलएलबी किया।
इसके अतिरिक्त उन्होंने बीएड भी किया। अपने करियर की शुरुआत दिल्ली के एक स्कूल में एक शिक्षिका के रूप में की। उसी दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेस की तैयारी भी की। वे अविवाहित हैं और अपने समर्थकों में 'बहनजी' के नाम से जानी जाती हैं।
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राजनीतिक जीवन : 1977 में मायावती, कांशीराम के सम्पर्क में आयीं। वहीं से उन्होंने एक नेत्री बनने का निर्णय लिया। कांशीराम के संरक्षण में 1984 में बसपा की स्थापना के दौरान वह काशीराम की कोर टीम का हिस्सा रहीं।
मायावती ने अपना पहला चुनाव उत्तर प्रदेश में मुज़फ्फरनगर के कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था। 3 जून 1995 को मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। और उन्होंने 18 अक्टूबर 1995 तक राज किया।
बतौर मुख्यमंत्री दूसरा कार्यकाल 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक, तीसरा कार्यकाल 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक और चौथी बार 13 मई 2007 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया। इस बार उन्होंने पूरे पांच साल तक राज किया, लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी से हार गयीं।
हार का प्रमुख कारण पूरे प्रदेश में अपनी मूर्तियां लगाने और अपने मंत्रियों द्वारा घोटाले थे। सबसे बड़ा विवाद है ताज कॉरिडॉर केस।
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वर्ष 2002 में उत्तर प्रदेश सरकार ने ताज हेरिटेज कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया। देखते ही देखते पूरा प्रोजेक्ट विवादों में आ गया।
मायावती की टेबल, तमाम सारे ज्ञापनों, पर्यावरण विभाग के नोटिस, सीबीआई के नोटिस, सुप्रीम कोर्ट के नोटिसों से भर गई। ऊपर से विपक्षी दलों ने उनपर जमकर हमले किये।
इस दौरान सीबीआई ने मायावती के 12 आवासों पर रेड डालीं। उसी दौरान आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ। इसमें 17 करोड़ रुपए की हेराफेरी के आरोप लगे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मायावती को आरोपी बनाया गया था। सीबीआई की मायावती और नसीमुद्दीन के खिलाफ चार्जशीट में कई त्रुटियां की थीं।
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कसभा चुनाव में भूमिका : लोकसभा चुनाव 2014 में मायावती अहम भूमिका अदा कर सकती हैं, क्योंकि जिस तरह सपा के शासन से जनता रुष्ट है, उससे यह साफ है कि बसपा का वोटबैंक मजबूत होगा। ओपिनियन पोल्स के मुताबिक बसपा 20 से 25 सीटों तक जीत सकती है।
यह भी तय है कि मायावती अब कांग्रेस का साथ नहीं देंगी। लिहाजा अगर तीसरे मोर्चे का गठन हुआ तो मायावती उसमें अहम भूमिका निभा सकती हैं। हालांकि उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना 2014 में पूरा होने में अभी शंका है।
मायावती का असली नाम चन्द्रावती था और इसी नाम से उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई थी, लेकिन जब वे कांशीराम के संपर्क में आईं और सक्रिय राजनीति में भाग लेने लगीं तब कांशीराम ने उनका नाम मायावती रख दिया।