हिमालय श्रृंखला के पहाड़ आज भी रहस्यमय हैं। इतिहासकार, पुरातत्ववादी और अन्य क्षेत्र के अनेक शोधार्थी ऐसा कहते हैं कि इस स्थान पर ऐसे रहस्य है जो मानव सभ्यता के पूूरे कालखंड पर प्रभाव डाल सकते हैं। यहां ऐसे जीवों का भी निवास है जिन्हें आज तक किसी ने नहीं देखा। इसे कुछ लोग हिममानव भी कहते हैं। उनमें से एक है - येती।
कौन है येती
ऐसा माना जाता है कि येती एक बड़े वानर जैसा होता है। इसका रंग श्वेत होता है और इसके पूरे शरीर पर बाल होते हैं। यह हिमालय की गुफाओं में रहता है और मानव की तरह ही दो पैरों पर चलता है। कई बार लोग इसे पोलर बेयर की प्रजाति का ही मानते हैं पर इसके पैरों के निशान अलग कहानी कहते हैं। एक और मतानुसार हिममानव का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना है। ऐसा माना जाता है कि मानव की एक कॉलोनी इन बर्फीले पहाड़ों में रहा करती थी जिन्हें येती कहा जाता था।
कब-कब मिले प्रमाण -
इसको देखे जाने के बारे में अनेक कहानियां प्रचलित है। लद्दाख के बौद्ध मठों के साथ-साथ नेपाल , भूटान और तिब्बत में भी लोगों ने ऐसे दावे किए हैं कि उन्होंने एक विशाल वानर (येती) की आकृति देखी है।
सबसे पहला प्रमाण 1832 में मिला था। एक पर्वतारोही बी एच होजशन ने बंगाल की एशियाटिक सोसायटी में एक आलेख लिखा था। इस आलेख में उन्होंने बताया था की ट्रैकिंग के दौरान उनके गाइड ने एक प्राणी देखा था उसके शरीर पर लम्बे बाल थे और वह दो पैरों पर चल रहा था। हालांकि होजशन ने इसे स्वयं नहीं देखा था। पर गाइड द्वारा किए गए वर्णन को उन्होंने प्रस्तुत किया था।
येती के अस्तित्व का प्रामाणिक दावा 1951 में फोटोग्राफर और खोजी एरिक शिपटन ने किया। वह माउंट एवेरेस्ट पर जाने के दूसरे रास्ते की तलाश में आगे बढ़ रहे थे, इसी दौरान उन्हें बर्फ पर बड़े पैरों के निशान मिले। उन्होंने यह खोज मेन लोंग ग्लेशियर पर की थी और यह पदचिह्न 13 इंच लम्बे थे।
वर्ष 1959 में एक खोजी ब्रायन बर्ने ने भी येती के पदचिह्न देखने का दावा किया। येती के बारे में अनेक स्थानीय,पर्वतारोही और खोजी भी ऐसे दावे करते आ रहे हैं।
29 अप्रैल 2019 में भारतीय सेना ने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी थी कि भारतीय सेना की पर्वतारोहण टीम ने मकालू बेस कैंप के पास 9 अप्रैल 2019 को रहस्यमयी 'येती' के 32*15 इंच के पदचिह्न देखे थे। इसके पहले मात्र मकालू बरुन राष्ट्रीय उद्यान में ही येती के प्रमाण पाए गए थे। सेना ने उन पदचिह्नों के चित्र भी ट्विटर पर साझा किए थे।
आज भी पृथ्वी पर ऐसी अनेक चीजें है जो छुपी हुई है। पेरू,अंटार्टिका ,हिमालय इत्यादि ऐसे स्थान है जहां ऐसे अनेक साक्ष्य मिलने की उम्मीदें खोजी लगाते रहते हैं। पर जो नियति में लिखा है वह समय के साथ प्रस्तुत हो ही जाता है। मानव का अहंकार है कि वह सर्वज्ञानी है पर प्रकृति माता उसके अहंकार को तोड़ने के लिए अनेक ऐसे प्रमाण प्रदान करती रहती है।