- ईशु शर्मा
हर साल 25 मार्च को विश्वभर के कई देशों एवं संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय अजन्मे बच्चे का दिवस मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत लोगों को अजन्मे बच्चे के अधिकार एवं महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए की गई थी। इसके साथ ही इस दिन के ज़रिए गर्भपात की निंदा भी की जाती है ताकि अजन्मे बच्चे के अधिकार को बचाया जा सके। कई देश एवं संस्था इस दिन गर्भवती महिला के अधिकारों के लिए भी कैंपेन चलाते हैं ताकि गर्भवती महिला को सुरक्षा प्रदान की जाए।
क्या हैं International Day of Unborn Child का महत्व?
अंतरराष्ट्रीय अजन्मे बच्चे का दिवस अधिकारी रूप से संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित नहीं किया गया है बल्कि इसे कई देशों एवं संस्थानों द्वारा मनाया जाता है ताकि लोग मनुष्य के जीवन का महत्व समझें और अजन्मे बच्चे के अधिकार जानें। इस दिन की शुरुआत गर्भपात के फैसले के खिलाफ की गई थी।
कैसे हुई International Day of Unborn Child की शुरुआत?
इस दिन की शुरुआत पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा की गई थी ताकि मानवता का संरक्षण किया जा सके और अजन्मे बच्चे को जीना का अधिकार मिले। इसके बाद 25 मार्च 1999 को पहली बार इ दिवस अर्जेंटीना में मनाया गया था।
भारत में गर्भपात के आंकड़े क्या हैं?
Guttmacher Insttitue के एक अध्ययन में ये पाया गया कि भारत में हार साल 1.5 करोड़ एबॉर्शन किए जाते हैं और साथ ही भारत इन आंकड़ों के द्वारा टॉप 10 देशों में से एक है जहाँ सबसे ज़्यादा एबॉर्शन किया जाता है।