संयुक्त राष्ट्र हर साल 30 जुलाई को मानव तस्करी के खिलाफ दिवस मनाता है महासभा ने वर्ष 2013 में 30 जुलाई को मानव तस्करी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए तय किया। लेकिन आर्थिक संकट के बीच इसका सीधा असर नाबालिग बच्चों पर भी पड़ रहा है। सिर पर कर्ज का बोझ तले माता -पिता के साथ कम उम्र में ही बच्चे काम करने को मजबूर है। वहीं अगर देखा जाए तो अब कोविड-19 की मार और अधिक भारी पड़ रही है।
महामारी में कोविड की चपेट में आने से कई सारे बच्चों के सिर से माता -पिता का साया उठ गया। जीने के लिए संघर्ष कर रहे बच्चों का फायदा उठाकर उनकी तस्करी की जाने लगी है। बच्चों को बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराया जा रहा है। हालांकि कई सारी सरकारी संगठनों और आश्रम और अन्य संगठनों द्वारा बच्चों की जिम्मेदारी ली है। यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार जैसे राज्यों के बच्चों को मुंबई, दिल्ली, चैन्नई, जयपुर जैसे शहरों में ले जाकर मजदूरी कराई जा रही है। पुलिस की मदद से उन्हें बचाया भी जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कुछ दिन पहले बढ़ रही मानव तस्करी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आहवान किया है। जिसमें एक तिहाई बच्चे हैं। गुटेरेश ने आगे कहा कि, 'कोविड-19 महामारी ने करीब 12 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी की गर्त में धकेल दिया है, वहीं कई लोगों पर मानव तस्करी का जोखिम मंडरा रहा है। कई जगहों पर बच्चों को अलग- अलग तरीके से काबू कर उनका शोषण कर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। और मजदूरी या अन्य कोई काम कराया जा रहा है।
महासचिव गुटेरेश ने देशों की सरकारों से अपील करते हुए कहा कि तस्करी की रोकथाम के लिए कड़े नियम बनाए जाएं और दोषियों को कटघरे में लाकर सजा दी जाएं। इतना ही नहीं 30 जुलाई 2021 में यूएन द्वारा मानव तस्करी के विरूद्ध में एक मुहिम शुरू की है। इसका नाम है ' Victims'Voices Lead The Way।' इस अभियान के तहत शिकार हुए लोगों बचाने की कोशिश की जाएगी।