सत्येन्द्रनाथ टैगोर ने भारत के लिए पहले आईसीएस अफसर बनने का गौरव प्राप्त किया। वे नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे। सन १८३२ से पहले तक सारे प्रशासकीय पदों पर अँगरेज अफसर ही नियुक्त किए जाते थे।
१८३२ में पहली बार मुसिफ और सदर अमीन जैसे पद पर भारतीयों की नियुक्ति के लिए खोले गए। १८३३ में डिप्टी मजिस्ट्रेट और डिप्टी कलेक्टर जैसे पद पर भारतीयों की नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ। १८६१ के आईसीएस अधिनियम ने भारतीय प्रशासकीय सेवा की स्थापना की। इस समय भारतीय प्रशासकीय सेवा में शामिल होने के लिए इंग्लैंड जाना होता था और ब्रिटिश प्रतियोगियों से मुकाबला करना एक कठिन काम होता था।
सत्येन्द्रनाथ टैगोर और उनके एक मित्र १८६२ में इस परीक्षा के लिए इंग्लैंड गए। मित्र तो इस परीक्षा को पास नहीं कर सके पर सत्येन्द्र बाबू ने जून १८६३ में यह परीक्षा पास की। ट्रेनिंग के बाद वे नवंबर १८६४ में भारत लौट आए। उनकी पहली नियुक्ति बॉम्बे प्रेसीडेंसी में हुई।