लंदन ओलिम्पिक की तैयारी करते हुए इस बार हम हॉकी के बारे में बात कर रहे हैं। हॉकी एक समय में हमारे देश भारत की धाक थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हमने ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी के रहते ओलिम्पिक में अपना दबदबा बना लिया था। अब इस खेल में ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्पेन, हॉलैंड आदि टीमों की धाक है।
क्या आपको पता है वर्ष 1908 में हॉकी खेल को पहली बार लंदन ओलिम्पिक में शामिल किया गया था। इसमें पहला ओलिम्पिक गोल्ड ग्रेट ब्रिटेन (इंग्लैंड) ने जीता था। पहले यह खेल घास के मैदान में खेला जाता था, लेकिन 1970 में प्लास्टिक टर्फ पर भी खेला जाने लगा।
इस बदलाव के साथ ही खेल तेजी से बढ़ता गया और रोमांच भी बढ़ गया। वर्ष 1980 में रशिया के मास्को में हुए खेलों में पहली बार महिला हॉकी प्रतियोगिता आयोजित की गई। 2000 में सिडनी ओलिम्पिक से ही ओलिम्पिक हॉकी स्पर्धा में पुरुष वर्ग में 12 टीमें होती हैं और महिला वर्ग में 10 टीमें होती हैं।
स्पर्धा के नियम: हॉकी मैच में 35-35 मिनट के दो हाफ होते हैं। हर टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं और 5 अतिरिक्त खिलाड़ी होते हैं। ओलिम्पिक में 12 टीमें होती हैं और इसलिए 6-6 के दो ग्रुप बना दिए जाते हैं। हर टीम ग्रुप की बाकी टीमों के खिलाफ मैच खेलती है। दोनों ही ग्रुप से शीर्ष दो टीमें सेमीफाइनल में पहुंचती हैं। ग्रुप में पीछे रह गई टीमें आपस में मैच खेलती है, ताकि हर टीम 5वें से 7वें तक अपना नंबर पा सके। इस तरह सेमीफाइनल से फाइनल में पहुंचती हैं और उनमें से एक गोल्ड मेडल जीतती है।