अंतिम बूँद बची मधु को अब जर्जर प्यासे घट जीवन में। मधु की लाली से रहता था जहाँविहँसता सदा सबेरा, मरघट है वह मदिरालय अब घिरा मौत का सघन अंधेरा, दूर गए वे पीने वाले जो मिट्टी के जड़ प्याले में- डुबो दिया करते थे हँसकर भाव हृदय का 'मेरा-तेरा', रूठा वह साकी भी जिसने लहराया मधु-सिन्धु नयन में। अंतिम बूँद बची मधु को अब जर्जर प्यासे घट जीवन में॥ अब न गूंजती है कानों में पायल की मादक ध्वनि छम छम, अब न चला करता है सम्मुख जन्म-मरण सा प्यालों का क्रम, अब न ढुलकती है अधरों से अधरों पर मदिरा की धारा, जिसकी गति में बह जाता था, भूत भविष्यत का सब भय, भ्रम, टूटे वे भुजबंधन भी अब मुक्ति स्वयं बंधती थी जिन में। जीवन की अंतिम आशा सी एक बूँद जो बाकी केवल, संभव है वह भी न रहे जब ढुलके घट में काल-हलाहल, यह भी संभव है कि यही मदिरा की अंतिम बूँद सुनहली- ज्वाला बन कर खाक बना दे जीवन के विष की कटु हलचल, क्योंकि आखिरी बूँद छिपाकर अंगारे रखती दामन में अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में। जब तक बाकी एक बूँद है तब तक घट में भी मादकता, मधु से धुलकर ही तो निखरा करती प्याले की सुन्दरता, जब तक जीवित आस एक भी तभी तलक साँसों में भी गति, आकर्षण से हीन कभी क्या जी पाई जग में मानवता? नींद खुला करती जीवन की आकर्षण की छाँह शरण में। अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में॥ आज हृदय में जाग उठी है वह व्याकुल तृष्णा यौवन की, इच्छा होती है पी डालूं बूँद आखिरी भी जीवन की, अधरों तक ले जाकर प्याला किन्तु सोच यह रुक जाता हूँ, इसके बाद चलेगी कैसे गति प्राणों के श्वास-पवन को, और कौन होगा साथी जो बहलाए मन दिन दुर्दिन में। अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में॥ मानव! यह वह बूँद कि जिस पर जीवन का सर्वस्व निछावर, इसकी मादकता के सम्मुख लज्जित मुग्धा का मधु-केशर, यह वह सुख की साँस आखिरी जिसके सम्मुख हेय अमरता- यह वह जीवन ज्योति-किरण जो चीर दिया करती तम का घर, अस्तु इसे पी जा मुस्कुराकर मुस्काए चिर तृषा मरण में। अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में॥ किन्तु जरा रुक ऐसे ही यह बूँद मधुरतम मत पी जाना; इसमें वह मादकता है जो पीकर जगबनता दीवाना, इससे इसमें वह जीवन विष की एक बूँद तू और मिला ले, सीख सके जिससे हँस हँसकर मधु के संग विष भी अपनाना, मधु विष दोनों ही झरते हैं जीवन के विस्तृत आँगन में। अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में॥