गुड़ी पड़वा या नव संवत्सर के दिन प्रातः नित्य कर्म कर तेल का उबटन लगाकर स्नान आदि से शुद्ध एवं पवित्र होकर हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर देश काल के उच्चारण के साथ सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
* पूजन का शुभ संकल्प कर नई बनी हुई चौरस चौकी या बालू की वेदी पर स्वच्छ श्वेतवस्त्र बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर उस पर ब्रह्माजी की सुवर्णमूर्ति स्थापित करें।
* इस दिन नया वस्त्र धारण करना चाहिए तथा घर को ध्वज, पताका, बंधनवार आदि से सजाना चाहिए।
* गुड़ी पड़वा दिन नीम के कोमल पत्तों, पुष्पों का चूर्ण बनाकर उसमें काली मिर्च, नमक, हींग, जीरा, मिस्री और अजवाइन डालकर खाना चाहिए। इससे रुधिर विकार नहीं होता और आयोग्य की प्राप्ति होती है।
* इस दिन नवरात्रि के लिए घटस्थापना और तिलक व्रत भी किया जाता है। इस व्रत में यथासंभव नदी, सरोवर अथवा घर पर स्नान करके संवत्सर की मूर्ति बनाकर उसका 'चैत्राय नमः', 'वसंताय नमः' आदि नाम मंत्रों से पूजन करना चाहिए। इसके बाद पूजन अर्चन करना चाहिए।
विद्वानों तथा कलश स्थापना कर शक्ति आराधना का क्रम प्रारंभ कर नवमी को व्रत का पारायण कर शुभ कामनाओं के फल प्राप्ति हेतु मां जगदंबा से मन से प्रार्थना करनी चाहिए।