गुड़ी पड़वा क्यों मनाना चाहिए, जानिए 8 कारण

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022 (19:21 IST)
Gudi padwa 2022
Hindu nav varsh gudi padwa: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2 अप्रैल 2022 शनिवार को हिन्दू नववर्ष प्रारंभ हो रहा है। इसे गुड़ी पड़वा भी कहते हैं। गुड़ी पड़वा यानी ध्वज प्रतिपदा का पर्व नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है, जिसे हिन्दू नव संवत्सर कहते हैं। आखिर क्यों मनाते हैं गुड़ पड़वा और हमें क्यों मनाना चाहिए गुड़ी पड़वा का पर्व, आओ जानते हैं।
 
 
गुड़ी पड़वा क्यों मनाना चाहिए (Why should Gudi Padwa be celebrated):
 
1. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष प्रारंभ होता है। इसे गुड़ी पड़वा के साथ ही युगादि पर्व भी कहा जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का 9 दिनी पर्व भी प्रारंभ होता है। यह दिन हमारे देश में प्राचीन काल से ही पवित्र माना गया है और इसी दिन से सभी तरह के नए कार्य प्रारंभ किए जाते हैं। चूंकि इस दिन से संपूर्ण भारत का नववर्ष प्रारंभ होता है इसीलिए हमें गुड़ी पड़वा मनाना चाहिए।
 
 
2. इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की संरचना शुरू की थी। उन्होंने इस प्रतिपदा तिथि को सर्वोत्तम तिथि कहा था इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं। ब्रह्म पुराण अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा ने सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। 
 
 
3. भारतीय मान्यता के अनुसार इसी दिन से वसंत का प्रारंभ होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसंत ऋतु में आती है। इस ऋतु में संपूर्ण सृष्टि में सुंदर छटा बिखर जाती है। पतझड़ के बाद नए पत्ते आने प्रारंभ होते हैं। प्रकृति का एक चक्र पूरा होकर दूसरा चक्र प्रारंभ होता है। इसीलिए गुड़ी पड़वा मनाई जाती है।
chaitra navratri muhurat 2022
5. चैत्र माह में प्रकृति और धरती का एक चक्र पूरा होता है। धरती के अपनी धूरी पर घुमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगाने लेने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है असल में वही नववर्ष होता है। नववर्ष में नए सिरे से प्रकृति में जीवन की शुरुआत होती है। वसंत की बहार आती है। इसीलिए गुड़ी पड़वा मनाना चाहिए। इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है।
 
 
6. ‘प्रतिपदा' के दिन ही पंचांग तैयार होता है। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग' की रचना की। इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। 
 
7. इसी दिन से सतयुग की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से नवरात्र की शुरुआत भी मानी जाती है। इसी दिन को भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था और पूरे अयोध्या नगर में विजय पताका फहराई गई थी। 
 
8. ज्योतिषियों के अनुसार इसी दिन से चैत्री पंचांग का आरम्भ माना जाता है, क्योंकि चैत्र मास की पूर्णिमा का अंत चित्रा नक्षत्र में होने से इस चैत्र मास को नववर्ष का प्रथम दिन माना जाता है। इसीलिए गुड़ी पड़वा मनाया जाता है।

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