गुजरात में हार के बाद वाम दलों ने कांग्रेस की आर्थिक नीतियों और भारत-अमेरिका परमाणु करार जैसे विषयों पर हमले तेज कर दिए हैं। इनका कहना है कि धर्मनिरपेक्षता अकेले पर्याप्त नहीं है।
भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव डी. राजा ने कहा कांग्रेस को इस बात को समझना होगा कि धर्मनिरपेक्षता अकेले पर्याप्त नहीं है। उसे अपनी नीतियों विशेष तौर पर आर्थिक नीतियों पर आत्ममंथन करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भारत-अमेरिका परमाणु करार पर फिर से विचार करने के साथ अपनी नीतियों में समय-समय पर सुधार करने की जरूरत है।
उन्होंने तिरुपति से बताया धर्मनिरपेक्ष दलों को गुजरात चुनाव परिणाम से सबक लेने की जरूरत है और उन्हें सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ अपने संघर्ष को और तेज करना चाहिए।
माकपा पोलित ब्यूरो ने इसी प्रकार के विचार व्यक्त करते हुए कहा इस समय सबसे जरूरी है हिन्दुत्व की सांप्रदायिक विचारधारा के खिलाफ संघर्ष को पूरी प्रतिबद्धता के साथ तेज करना तथा मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ लोगों को खड़ा करना।
बयान के अनुसार चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया है कि जहाँ सांप्रदायिकता की जड़े गहरी हैं वहाँ केवल चुनाव के जरिए इन्हें परास्त नहीं किया जा सकता।