हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आषाढ़ी और गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 10 जुलाई 2025 गुरुवार को पूर्णिमा तिथि रहेगी। गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यासजी की जयंती की रूप में भी मनाई जाती है। यदि आपने किसी को गुरु बना रखा है या बनाने का सोच रहे हैं तो जानिए कि आप सही मार्ग पर हैं या नहीं। अधिकांश ऐसे हैं जो अंधे भक्त हैं, तो स्वाभाविक ही है कि उनके गुरु भी अंधे ही होंगे। माना जा सकता है कि वर्तमान में तो अंधे गुरुओं की जमात है, जो ज्यादा से ज्यादा भक्त बटोरने में लगी है।
कौन नहीं होता है गुरु?
1. रामायण, शिव पुराण या भागवत कथा बांचने वाला या चार वेद या फिर चार किताब पढ़कर प्रवचन देकर पैसा कमाने वाला गुरु नहीं होता है।
2. किताब, चूर्ण, ऑडियो-वीडियो कैसेट, माला या ध्यान बेचने की नौकरी देने वाला भी गुरु नहीं होता।
3. खुद को ईश्वर के समक्ष रखकर खुद को भगवान मानकर जिंदा रहते ही खुद की पूजा-आरती कराने वाला गुरु नहीं होता।
4. आश्रम के नाम पर भूमि हथियाने वाले मीठे-मीठे प्रवचन देकर भक्तों की संख्या बढ़ाने वाले भी गुरु नहीं होते हैं।
5. धर्म के नाम पर लोगों से पैसे ऐंठने वाला गुरु नहीं होता।
6. संसार में रहकर सांसारिक कार्यों में रत और हर समय लोगों के बीच रहने वाला गुरु नहीं होता।
कौन होता है गुरु?
1. बहुत साधारण से लोग हमें गुरु नहीं लगते, क्योंकि वे तामझाम के साथ हमारे सामने प्रस्तुत नहीं होते हैं। वे ग्लैमर की दुनिया में नहीं है और वे तुम्हारे जैसे तर्कशील भी नहीं है। वे बहस करना तो कतई नहीं जानते।
2. गुरु तपस्वी होता है जो अपने मठ, आश्रम या मड़ी पर अधिकतर समय ध्यान, तप और जप में ही रमा रहता है। वह कुंभ के दौरान ही बाहर निकलता है।
3. गुरु कभी किसी को चमत्कार नहीं बताता और न ही वह लोगों को प्रभावित करने का कार्य करता है। वह लोगों को मोक्ष के मार्ग पर जाने का रास्ता बताता है या जप की महिमा बताता है।
4. गुरु वह होता है जो खुद अपने मोक्ष मार्ग की तलाश में है और जो लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहा है।
5. कुछ लोग कहते हैं कि शास्त्रों अनुसार और गुरु-शिष्य की परंपरा अनुसार पता चलता है कि गुरु वह होता है जो आपकी नींद तोड़ दे और आपको मोक्ष के मार्ग पर किसी भी तरह धकेल दे।
6. ओशो रजनीश कहते हैं गुरु की खोज बहुत मुश्किल होती है। गुरु भी शिष्य को खोजता रहता है। बहुत मौके ऐसे होते हैं कि गुरु हमारे आसपास ही होता है, लेकिन हम उसे ढूंढते हैं किसी मठ में, आश्रम में, जंगल में या किसी भव्य प्रेस कांफ्रेंस में या प्रवचनों के तामझाम में।
कहावत: यह कहावत प्रचलित है कि पानी पियो छान कर गुरु बनाओ जानकर। मतलब यह कि यदि पानी खराब पी लिया तो उल्टी दस्त लग जाएंगे और आप बीमार भी पड़ सकते हो। इसी तरह यदि गुरु बगैर जाने परखे बना लिया तो आपकी पूरी जिंदगी ही बीमार पड़ जाएगा और इसका आपको पता भी नहीं चलेगा।