Pauranik kal ke 10 guru: 21 जुलाई 2024 को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन महर्षि वेद व्यासजी का जन्म हुआ था इसीलिए यह पर्व मनाते हैं। इस देश में प्राचीन काल से ही गुरु और शिष्य की परंपरा चली आ रही है। गुरु और शिक्षक में अंतर होता है। गुरु दीक्षा देता है और शिक्षा शिक्षा देता है। गुरु विद्याओं का ज्ञान देता है तो शिक्षक कलाओं का ज्ञान देता है। भारत की गुरुकुल परंपरा के 10 महान गुरुओं के बारे में जानें।ALSO READ: अपने भीतर बैठे ज्ञानी और गुरु के साथ अभेद्य सम्बन्ध को जानना ही गुरु पूर्णिमा
1. देवताओं के गुरु : सभी देवताओं के गुरु का नाम बृहस्पति हैं। बृहस्पति से पूर्व अंगिरा ऋषि देवताओं के गुरु थे। हर देवता किसी न किसी का गुरु रहा है।
2. असुरों के गुरु : सभी असुरों के गुरु का नाम शुक्राचार्य हैं। शुक्राचार्य से पूर्व महर्षि भृगु असुरों के गुरु थे। कई महान असुर हुए हैं जो किसी न किसी के गुरु रहे हैं।
3. भगवान परशुराम के गुरु : भगवान परशुराम के गुरु स्वयं भगवान शिव और भगवान दत्तात्रेय थे।
4. भगवान राम के गुरु : भगवान राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि और विश्वामित्र थे।
5. भगवान श्रीकृष्ण के गुरु: भगवान श्रीकृष्ण के गुरु थे गर्ग मुनि, सांदीपनि और वेद व्यास ऋषि।
6. एकलव्य, कौरव और पांडवों के गुरु : एकलव्य, कौरव और पांडवों के गुरु द्रोण थे।
7. भगवान बुद्ध के गुरु : गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त आदि बुद्ध के गुरु थे।
8. आचार्य चाणक्य के गुरु : चाणक्य के गुरु उनके पिता चणक थे। महान सम्राट चंद्रगुप्त के गुरु आचार्य चाणक्य थे।
9. आदिशंकराचार्य और लाहड़ी महाशय के गुरु : ऐसा कहा जाता है कि महावतार बाबा ने आदिशंकराचार्य को क्रिया योग की शिक्षा दी थी और बाद में उन्होंने संत कबीर को भी दीक्षा दी थी। इसके बाद प्रसिद्ध संत लाहिड़ी महाशय को उनका शिष्य बताया जाता है। इसका जिक्र लाहिड़ी महाशय के शिष्य स्वामी युत्तेश्वर गिरि के शिष्य परमहंस योगानंद ने अपनी किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी' (योगी की आत्मकथा, 1946) में किया है। हालांकि ज्ञात रूप से आदि शंकराजार्य के गुरु आचार्य गोविन्द भगवत्पाद थे।
10. गुरु गोरखनाथ के गुरु : नवनाथों के महान गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ (मछंदरनाथ) थे जिन्हें 84 सिद्धों का गुरु माना जाता है।