बरसात के मौसम में अस्थमा के मरीज बरतें ये 12 जरूरी सावधानियां
बरसात का मौसम अस्थमा के मरीजों के लिए थोड़ी मुश्किलें लेकर आता है। इस रिमझिम मौसम में अस्थमा रोगियों की समस्या अक्सर बढ़ जाती है और उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि अस्थमा के मरीज कुछ जरूरी सावधानियां बरतें, जिससे की वे बिना किसी सेहत समस्या के इस सुहाने मौसम का मजा ले सके।
जरूरी सावधानियां, जो अस्थमा की समस्या से आपको बचाएगी -
1 अगर आप अस्थमा के मरीज हैं, तो आपको खुली और ताजी हवा में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहिए और भरपूर रोशनी भी लेनी चाहिए। ताजे और स्वच्छ पानी का भी भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए।
2 अस्थमा की चिकित्सा में शहद बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। अगर अस्थमा का रोगी एक जग में शहद भर लें और फिर उसके नजदीक जाकर सांस लें तो उसकी सांस की तकलीफ दूर होकर वह हल्का महसूस करेगा। कुछ वैद्य और यूनानी हकीम तो अस्थमा के इलाज के लिए एक साल पुराना शहद इस्तेमाल करने की भी सलाह देते हैं।
3 दमा के लिए हल्दी भी एक बहुत अच्छी दवाई मानी जाती है। दमा के रोगी को दिन में दो से तीन बार एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर देने से रोग में फायदा होता है। इसका इस्तेमाल खाली पेट करना चाहिए।
4 अस्थमा के रोगियों को हल्का भोजन करना चाहिए, क्योंकि भारी भोजन के सेवन से श्वास में कमी व सांस लेने में परेशानी होती है। वहीं सप्ताह में एक बार रोगी को उपवास जरूर रखना चाहिए।
5 अस्थमा के मरीजों को अपनी भूख से कम ही खाना चाहिए और भोजन को धीरे-धीरे एवं खूब चबाकर करना चाहिए। दिन में 8-10 गिलास पानी भी जरूर पिएं।
6 दमा के रोगी को शरीर में एसिड पैदा करने वाली चीजें जैसे कार्बोहाइड्रेट, फैट्स और प्रोटीन का इस्तेमाल कम मात्रा में करना चाहिए। नाश्ते में मुनक्का का शहद के साथ इस्तेमाल करना बेहतर होता है।
7 खाने में हल्की और जल्द हजम होने वाली चीजों जैसे मूंग और अरहर की दाल, तोरई, कद्दू वगैरह इस्तेमाल करें। दोपहर और रात के खाने में कच्ची सब्जियां जैसे ककड़ी,टमाटर, गाजर और सलाद का इस्तेमाल करें। साथ ही एक प्याला पकी हुई सब्जियां और गेहूं की रोटी भी ले सकते हैं।
8 रात का खाना ज्यादातर सूरज ढलने से पहले या फिर कभी-कभी सोने के दो घंटे पहले करने से इसका बुरा प्रभाव हाजमे पर नहीं पड़ता।
9 किसी भी प्रकार के दबाव अर्थात तनाव, चिंता, डर आदि से बचने का प्रयास करें। इन सभी के कारण अस्थमा अटैक आने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। दमा रोग के लिए इन्हेलर भी बेहतर विकल्प है।
10 योगा और प्राणायाम अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसे नियमित रूप से करने पर आप अस्थमा अटैक से बच सकते हैं। सरसों के तेल से छाती पर मालिश करने से आराम पहुंचता है।
11 सोते वक्त रोजाना सिर के नीचे 1 से ज्यादा तकिए रखकर सोने की आदत डालने से भी दमे के दौरे का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है। दौरे के वक्त, शुरूआती समय में रोगी को हर दो घंटे में एक प्याला गरम पानी पीने को देते रहें।
12 इनके साथ रोगी को कुदरत के कुछ नियमों का पालन करना भी बेहद जरूरी है। रोगी को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। धूल, मिट्टी और एलर्जी पैदा करने वाले कीटाणुओं से खुद का बचाव करना चाहिए। रोगी को सर्दी से बचना चाहिए और एलर्जिक फूड के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। इसी के साथ ही मानसिक चिन्ताओं से बचना चाहिए।