1 एक चम्मच शुद्ध घी, एक चम्मच पिसी शकर, चौथाई चम्मच पिसी कालीमिर्च तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाटकर गर्म मीठा दूध पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
2 एक बड़े कटोरे में 100 ग्राम शुद्ध घी लेकर इसमें पानी डालकर हलके हाथ से फेंटकर पानी फेंक दें। यह एक बार घी धोना हुआ। ऐसे 10 बार पानी से घी को धोकर कटोरे को थोड़ी देर के लिए झुकाकर रख दें, ताकि थोड़ा बहुत पानी बच गया हो तो वह भी निकल जाए। अब इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें और चौड़े मुुंह की शीशी में भर दें। यह घी, खुजली, फोड़े फुंसी आदि चर्म रोगों की उत्तम दवा है।
3 रात को सोते समय एक गिलास मीठे दूध में एक चम्मच घी डालकर पीने से शरीर की खुश्की और दुर्बलता दूर होती है, नींद गहरी आती है, हड्डी बलवान होती है और सुबह शौच साफ आता है। ठंड आने के पहले से ठंड खत्म होने तक यह प्रयोग करने से शरीर में बलवीर्य बढ़ता है और दुबलापन दूर होता है।
4 घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शकर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बांध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूंट-घूंट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।
5 चना व गेहूं 11 किलो मिलाकर पिसवा लें और आटे को छाने बिना ही प्रयोग करें। 250 ग्राम आटे में घी का मोयन देकर इसमें कोई भी मनपसंद सब्जी बारीक-बारीक काटकर डालें, थोड़ा सा नमक, अजवायन और बारीक कटा हुआ प्याज वगैरह डालकर आटा गूंंथ लें। इसकी मोटी-मोटी रोटी तवे पर ही घुमा-घुमाकर पकाएं। अब इसमें कोंचा मारकर घी डालें और घी से तर-बतर करके खूब चबा-चबाकर गुड़ या किसी भी सब्जी के साथ खाएं। यह बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक रोटी है, जिसकी पौष्टिकता का एक प्रमुख तत्व शुद्ध घी है।