इस अदृश्य दुश्मन ने न जाने कितने बच्चे के सिर से माता-पिता का साया छीन लिया। अब तक रहे इस भयावह कोविड काल में जीवन में हताशा, निराशा, बेचैनी और खालीपन ने इंसान को अंदर से भी खोखला कर दिया। जब जीवन में पूर्ण रूप से निस्तेज और लैंग्विशिंग आने लगती है। इसे लैंग्विशिंग कहते हैं। एक ऐसी मन स्थिति में पहुंचना जब कुछ खाने या करने का मन नहीं करता हो, जीवन में बहुत अधिक सुस्ती छाई रहती है। जीवन में खालीपन बढ़ जाता है। अच्छे से अच्छे माहौल में भी लौ महसूस करते हैं। इस परिस्थिति से जल्द से जल्द छुटकारा पाना बहुत जरूरी होता है। अन्यथा मरीज एक बीमारी के साथ डिप्रेशन का भी शिकार हो जाता है।