कोरोना के चलते सेहत और स्वच्छता को लेकर आमजन ने बदली अपनी राय, जानिए

हर एक व्यक्ति एक सेहतमंद जिंदगी की तलाश करता है। कोरोना काल में इसकी समझ और बेहतर तरीके से हो गई है। एक स्वस्थ और तंदुरुस्त जिंदगी सबसे ज्यादा जरूरी है। वैसे भी हम में से कोई भी बीमार नहीं पड़ना चाहता है।

कहते हैं कि इलाज करवाने से बेहतर है कि हम सही एहतियात बरतें ताकि बीमारी हमें छू भी न पाए। इसके लिए हमें समझदारी के साथ कदम बढ़ाने की जरूरत है। कोरोना काल में लोगों ने अपने जीवन में कई बदलाव किए ताकि वायरस उन्हें छू भी न पाए। कोविड से बचाव के लिए स्वच्छता बनाए रखने पर ज्यादा जोर दिया जिससे कि सेहत बनी रहे।

एक सेहतमंद जिंदगी और निरोगी काया के लिए स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर आइए जानते हैं कोरोना के चलते सेहत और स्वच्छता को लेकर लोगों की क्या राय है?
 
मयंक श्रीवास्तव कहते हैं कि कोरोना काल में सेहत और स्वच्छता को लेकर लोगों की राय में काफी बदलाव देखा गया है। अब घर से बाहर निकलने से पहले ही मास्क और हाथों को साफ रखने के लिए सैनिटाइजर हम रखना नहीं भूलते हैं, वहीं ऑफिस में पहुंचते ही अपनी डेस्क पर बैठने पर पहले सैनिटाइजर से अपने हाथों को साफ करते हैं, फिर अपने काम की शुरुआत करते हैं। वहीं कहीं बाहर से घर वापस आने पर सबसे पहले हम नहाते हैं और खुद को अच्छी तरह से साफ करते हैं। उसके बाद ही अपने घर के अन्य सदस्यों के संपर्क में आते हैं। वहीं व्यक्तिगत हाइजीन की बात करें या घर की साफ सफाई की, तो लोग स्वच्छता को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो चुके हैं। इससे न केवल वे कोरोना बल्कि अन्य बीमारियों के संपर्क में आने से भी बच रहे हैं। वाकई कोरोना काल में स्वच्छता और सेहत को लेकर लोगों में काफी जागरूकता देखी गई है।
 
सुदर्शन व्यास का कहना है कि हम पहले इतने ज्यादा लापरवाह थे कि अपने स्वास्थ्य को लेकर खाने-पीने की चीजों को लेकर वे बहुत ज्यादा नहीं सोचते थे। लेकिन कोरोना काल में लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता देखी गई है। अब वे स्वच्छता का बहुत ख्याल रखते हैं। अब बाहर के खाने से दूरी रखना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं। अब व्यक्ति बाहर के खाने की चीजों से बच रहा है, क्योंकि अब उनके मन में सेहत को लेकर ज्यादा चिंता है। अगर बाहर जाता भी है, तो स्वच्छता का ख्याल सबसे पहले रहेगा कि खाना बनाने वाले ने ग्लव्स पहने है कि नहीं? स्वच्छता है कि नहीं? होटल में स्वच्छता का ख्याल रखा जा रहा है, क्योंकि अब कोरोना काल में लोगों को समझ में आ चुका है कि स्वच्छता है तो सेहतमंद जिंदगी है।
 
पवन दुबे, यूथ कनेक्ट को-फाउंडर : कोरोना के चलते सबसे पहले लोगों ने अपने जीवन में कई बदलाव किए, जैसे हम अपने हाथों को साबुन से बार-बार धोने लगे हैं। हम सैनिटाइजर का प्रयोग करने लगे हैं, साथ ही स्वच्छता का ध्यान रखने लगे हैं। हमने 'स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत' के सपने को साकार किया। पुराने समय में हम भोजन के पहले हाथ-पैर धोकर ही भोजन करते थे तथा वो आज हम फिर से करने लगे हैं।
 
राजेश गौर, संभावना ट्रस्ट क्लिनिक : गैस पीड़ित समुदाय में कार्य करने के दौरान हमने पाया कि लोग गैसजनित बीमारियों (शुगर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा इत्यादि) को लेकर काफी सजग हो गए हैं। दवाइयों के नियमित सेवन के प्रति उनमें जागरूकता बढ़ी है। गैस पीड़ित आबादी अर्थात अधिकांश गरीब तबका जहां सफाई व स्वच्छता इत्यादि विषयों को इतनी प्रमुखता नहीं दी जाती थी, परंतु अब कोविड के चलते अधिकांश घरों के बाहर लोग साबुन व बाल्टी हाथ धोने के लिए रखने लगे हैं। यहां तक कि अनेक समुदाय में तो जुगाड़ से बने हैंड वॉशिंग स्टेशन का भी लोग भरपूर इस्तेमाल करने लगे हैं। सफाई के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है।
 
नेहा सोनी का कहना है कि लोगों का सेहत के प्रति सजग रहना कितना जरूरी है, इस बात को कोरोना ने समझाया है। कोरोना ने लोगों को जीना सिखाया है। साफ-सफाई व स्वच्छता आपकी सेहत पर कितना प्रभाव डालती है, इस बात से अब लोग वाकिफ हो चुके हैं। लोगों में खुद में जागरूकता आ चुकी है कि उन्हें उचित समय पर हाथ धोना चाहिए। किसी भी चीज के इस्तेमाल से पहले उसे सैनिटाइज करना जरूरी है। घर में लाई गईं सब्जियों व फलों को भी लोग बिना सैनिटाइज किए अपने घर में नहीं रख रहे हैं। 'स्वच्छता है तो सेहत है' इस बात को लोग कोरोना काल में बेहतर तरीके से समझ चुके हैं।
 

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