बाजार में मिलने वाले फल भी केमिकल से पकाए जाते हैं। फलों को देखने में अच्छा और पकाने में सहायक ये केमिकल हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक हैं। आहार विशेषज्ञों की मानें तो केमिकल से पकाए फलों में केमिकल का असर भी रहता है। इससे पेट की बीमारियों के अलावा लीवर, कैंसर, आंतों का कैंसर, डायरिया आदि हो सकता है।
खरीदने से पहले
फल साफ और विश्वसनीय दुकान से ही खरीदें। अगर फल कागज में लिपटें हों, उनसे प्राकृतिक खुशबू नहीं आ रही हो, तो समझ लें फल केमिकल से पकाए गए हैं। केमिकल से पकाए फलों में कहीं-कहीं धब्बे या फफूंदी भी लगी हो सकती है। क्योंकि इनसे फल बहुत तेजी से पकते हैं। खाने से पहले फल अच्छी तरह धो लें। केमिकल का डर हो, तो उन्हें गुनगुने पानी से धोएं। कुछ फल, जूस या शेक उम्र के अनुसार दिए जाने से ज्यादा लाभदायक साबित हो सकते हैं।
5 से 10 वर्ष- बढ़ती उम्र और विकसित होता मस्तिष्क और भी बेहतर खुराक की मांग करता है। इस उम्र के बच्चों को दिन में दो बार शेक दें। बच्चों को सोया मिल्क, मिश्री, खसखस, तरबूज और चीकू का शेक दें। इसके 1 गिलास शेक में 200 से 250 कैलोरी रहती है।
10 से 20 वर्ष- इस उम्र में वजन बढ़ना और पिंपल्स होना जैसी समस्याएं आमतौर पर हो जाती हैं। ऐसे में कम कैलोरी वाली वस्तु का सेवन करना चाहिए। कच्ची केरी, पोदीना, सब्जी का जूस दें जिसमें शक्कर व काला नमक हो। इससे ठण्डापन, नमी मिलेगी और त्वचा संबंधी परेशानी नहीं होगी।