मॉडर्न लाइफस्टाइल के परिवर्तन के कारण सस्ते लोहे के बर्तनों को महंगे नॉन-स्टिक पैन्स से और मटके की परंपरा को रेफ्रिजरेटर में प्लास्टिक बोतलों के साथ बदल दिया गया है। पीतल और तांबे के बर्तनों की जगह अब माइक्रोवेव जैसे डिवाइस इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि ऐसे बर्तनों का उपयोग करना सुरक्षित और हेल्दी है?
हमारा स्वास्थ्य हमारे खाने के विकल्पों, खाने के तरीके और सबसे अहम रूप से इस पर निर्भर करता है कि भोजन किस तरह और किस प्रकार के बर्तन में पकाया जाता है। भोजन को आग पर पकाने से यह आसानी से पच जाता है और उसकी गुणवत्ता भी बढ़ जाती है। उन बर्तनों का महत्व है जिनमें खाना पकाया जाता है, क्योंकि वे हमारे स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव डालते हैं।
एल्यूमिनियम के बर्तन हैं हानिकारक
भारत में ब्रिटिश राज के समय, कैदियों को भोजन परोसने के लिए एल्युमिनियम के बर्तन (Aluminium Utensils) इस्तेमाल किए जाते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि यह एक धीमा जहर है जो उनके गुर्दे और फेफड़ों को धीरे-धीरे प्रभावित करता था। एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना पकाना अधिक खतरनाक होता है।
जब हम खाना एल्युमिनियम के बर्तन में पकाते हैं, तो उनमें मौजूद एल्यूमिनियम ऑक्साइड रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करता है और इसमें इकट्ठा हो जाता है, जो हमें अंदर से खोखला कर देता है। अगर 5 से 6 महीने तक लगातार एल्युमिनियम के बर्तन में खाना पकाया जाता है, तो वे बर्तन हल्के हो जाते हैं और जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं। इस बर्तन में खाना खाने से खट्टी डकार, पेट में गैस, आंत की सूजन, खुजली, रूसी और हाइपरटेंशन जैसी कई बीमारियां हो सकती हैं।
नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना पकाना जानलेवा
नॉन-स्टिक बर्तनों (Non Stick Utensils) का इस्तेमाल हमारे काम को आसान बनाने के साथ-साथ, सेहत के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इन बर्तनों पर टेफ्लॉन कोटिंग होती है जिससे तेल नहीं चिपकता। लेकिन यह कोटिंग हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसमें मौजूद हानिकारक तत्व हमारे शरीर को कई बीमारियों के लिए संक्रमित कर सकते हैं।
नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना पकाने से थायराइड, हड्डियों के रोग, कैंसर, और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन बर्तनों का इस्तेमाल करने से प्रजनन समस्याएं भी हो सकती हैं, और कॉग्निटिव-डिसऑर्डर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। इससे हमारी इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे लीवर और किडनी के रोग भी हो सकते हैं।