वजन कम करने के लिए भी व्रत करते हैं। उस दौरान 9 दिन तक लिक्विड अधिक लेते हैं। ऐसे में आपका वजन तो कम हो जाएगा लेकिन आप बहुत कमजोर महसूस करने लगते हैं। और जब कमजोरी आती है तब इम्युनिटी भी कम हो जाती है। और थोड़ा बहुत खाना शुरू करते हैं तो फिर से वजन बढ़ने लग जाता है। इसलिए इस तरह वजन कम करने के लिए नहीं करें। व्रत की गरिमा को बनाए रखें। और आंत को एक वक्त आराम दें और एक वक्त फरियाल करें। तब असल में व्रत होता है।
शारदीय नवरात्रि का बहुत महत्व है। जिसमें 9 दिन तक अलग-अलग रूप से आराधना करते हैं। इसमें प्रमुख है व्रत। जी हां, 9 दिन तक व्रत रखते हैं। लेकिन अलग-अलग प्रकार से व्रत किया जाता है कोई सिर्फ एक समय ही फलाहार लेता तो कोई दिनभर कुछ न कुछ व्रत के नाम पर खाते रहते हैं। तो कोई वजन कम करने के लक्ष्य से, बॉडी को डिटॉक्स करने के लक्ष्य से व्रत करते हैं। सच में बॉडी के विषैले पदार्थ निकालना चाहते हैं तो सही तरह से उपवास करना जरूरी होता है। वैज्ञानिक तरीके से उपवास करते हैं तो कई सारे फायदे मिलते हैं। किस तरह उपवास करना चाहिए जानते हैं सीधे डॉ प्रीति शुक्ला, न्यूट्रीशनिस्ट से -
- व्रत करने का सही तरीका क्या होना चाहिए?
व्रत करने का मतलब होता है कि हम अपनी आंत (इंटेस्टाइन) को आराम दे रहे हैं। व्रत के दौरान कई लोग फल खाते हैं और एक समय ही फलाहार करते हैं वह अच्छा तरीका है। कच्ची चीजें भी खाते हैं। लेकिन अब वैश्वीकरण बढ़ गया है अलग - अलग परंपराएं बहुत सी जुड़ गई है। उस लिहाज से Fasting has become Feasing यानी उपवास दावत बन गया है। मजे वाला भोजन। कभी खिचड़ी बनेगी, मोरधन, पराठा पुड़ी, मिठाई, इस तरह से पार्टी होने लगी है। ऐसे में उपवास का जो असल मायना खो दिया है। इन सब चीजों में हाई फैट और कार्बाेहाइड्रेट मील हो जाती है। इससे बॉडी का फैट बढ़ता है।
बैलेंस्ड तरीके से उपवास करंे। इससे बॉडी को आराम भी मिले और पोषण से वंचित भी नहीं रहे। जैसे सुबह में दूध और फल खा लिया, दिन के भोजन में दही, पनीर, मोरधन हो गया। शाम में लिक्विड डाइट लें जैसे - छाछ, नींबू पानी, नारियल पानी। इससे आंत को भी आराम मिल जाता है। और प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट को सीमित मात्रा में खाया जाता है। वहीं आपने सुबह के नाश्ते में फल और दूध लेकर प्रोटीन को समावेश कर लिया। इससे आपकी बॉडी को सही पोषण मिलता है। तब जाकर एक सही मायने में व्रत होता है। इससे आपका किसी प्रकार का मसल लॉसं, फैट नहीं बढ़ेगा और ना ही आपको कमजोरी महसूस होगी।
वजन कम करने के लिए भी व्रत करते हैं। उस दौरान 9 दिन तक लिक्विड अधिक लेते हैं। ऐसे में आपका वजन तो कम हो जाएगा लेकिन आप बहुत कमजोर महसूस करने लगते हैं। और जब कमजोरी आती है तब इम्युनिटी भी कम हो जाती है। और थोड़ा बहुत खाना शुरू करते हैं तो फिर से वजन बढ़ने लग जाता है। इसलिए इस तरह वजन कम करने के लिए नहीं करें। व्रत की गरिमा को बनाए रखें। और आंत को एक वक्त आराम दें और एक वक्त फरियाल करें। तब असल में व्रत होता है।
कई बार लगातार दिनभर लोग कुछ न कुछ खाते रहते हैं और ऐसा भी नहीं होता है कि वह फल या रॉ खाद्य चीजें खा रहे हो। पका हुआ भोजन करने से लगातार हाई कार्बाेहाइड्रेट बॉडी में जाता है। और फिर फैट तो बढ़ना ही है।
- कोविड-19 से रिकवर हुए लोगों को फास्ट करना चाहिए या नहीं ?
पिछले 5 से 6 महीने में रिकवर हुए लोगों को व्रत नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस वायरस से अंद्रूनी तौर पर शरीर बहुत कमजोर हो गया है। बहुत जरूरी है व्रत करना है तो प्रोटीन की मात्रा बराबर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि कोविड-19 के दौरान आपकी बॉडी मसल्स बिखर गई है और उन सब चीजों से कवर होने के लिए प्रोटीन को डाइट में शामिल करना जरूरी है। कोविड से रिकवर हो रहे लोगों में कमजोरी अभी भी बहुत है। जिससे रिकवर होने में लंबा समय लग रहा है। और अगर वह व्रत करते हैं तो वह और अधिक कमजोर हो जाएंगे। अगर करते हैं तो हाई प्रोटीन डाइट में शामिल करें। जैसे - पनीर दही, ड्रायफ्रूट्स, छाछ, मूंगफली जरूर खाएं।
- डायबिटीज और दिल के मरीजों को किस तरह फास्ट करना चाहिए ?
डायबिटीज मरीजों को व्रत करने के लिए मना किया जाता है। क्योंकि उनका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा ऊपर-नीचे हो जाता है। कार्बाेहाइड्रेट मील में आलू की सब्जी कद्दू की सब्जी , राजगरा के आटे की पूड़ी, कुट्टू के आटे की पूड़ी पराठे तो यह सब हाई कार्बाेहाइड्रेट के स्त्रोत है। इससे डायबिटीज मरीज का शुगर लेवल बढ़ जाएगा।
डायबिटीज मरीज अगर व्रत करते हैं तो वह अपने भोजन में मोर्धन, दही, पनीर, ड्राय फ्रूट्स और नारियल पानी ले सकते हैं।
वहीं दिल के मरीज तली हुई चीजे नहीं खाएं। व्रत में सबसे अच्छी चीज होती है बॉडी को एक समय आराम देना। इससे बॉडी की ऑटोफेजी बढ़ती है। और टॉक्सिन को खत्म कर देती है। ब्लड में मौजूद डेड सेल्स, गंदगी सभी खत्म हो जाती है।
- 9 दिन में बॉडी को कैसे करें डिटॉक्स ?
हालांकि 9 दिन में बॉडी को डिटॉक्स करने को हम नहीं निर्देशित करते हैं। बॉडी को डिटॉक्स करना एक प्राकृतिक क्रिया है। किडनी, लिवर रोज ही बॉडी को डिटॉक्स करते हैं। दरअसल, डिटॉक्सीफिकेशन एक प्राकृतिक क्रिया है, वह बॉडी का ऑटो सिस्टम है। ऑटोफेजी और क्लेंजिंग बढ़ाना है। क्लेंजिंग सप्ताह में 1 या 2 बार कर सकते हैं। व्रत में आप सिर्फ 1 वक्त ही कुछ खाते हैं और उसके बाद कुछ नहीं तो आपके बॉडी की ऑटोफैजी बढ़ जाती है। इससे डेड सेल्स ऑटोमेटिक खत्म हो जाएंगे।