-सुधा जैन
एक सुंदर मकान के निर्माण के लिए सर्वप्रथम हम ऊबड़-खाबड़ व पथरीली जमीन को समतल बनाते हैं, तब ही उस सुंदर मकान की नींव रखी जाती है व इमारत बनने का स्वप्न साकार होता है। इसी प्रकार जीवन रूपी इमारत के निर्माण में भी हमारी सकारात्मक सोच का बड़ा ही प्रभाव होता है।
आज के इस आपाधापी के युग में मानवीय मूल्यों में कमी देखी जा रही है। फलस्वरूप एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार व वैमनस्य अधिक दिखाई दे रहा है। प्यारभरे शब्दों का अकाल-सा पड़ गया है। चिड़चिड़ापन, गुस्सा, हिंसा सामान्य बात हो गई है। दबाव व तनाव के कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद आदि बीमारियां घर कर गई हैं।
ऐसे जीवन के लिए बहुत अधिक सुख-सुविधा या धन-धान्य की परिपूर्णता आवश्यक नहीं है, बस चाहिए सकारात्मक सोच या दृष्टिकोण। इन बिंदुओं को अपनाइए, जीवन खुशहाल हो उठेगा।
1. अपने अंदर वर्षों से जमा नकारात्मक दृष्टिकोण, सोच, अहंकार, अहं को निकालकर सकारात्मक सोच को लाएं।
2. किसी भी बात में कोई पूर्वाग्रह, बहाने, रोड़े न अटकाएं। पूर्वाग्रह का कूड़ा-करकट हटाकर ही सकारात्मक चिंतन का महल खड़ा हो सकता है।
3. व्यस्त रहें, मस्त रहें। अकेलेपन या कोई काम न होने से भी मन में अवसाद आ जाता है और नकारात्मकता घर कर जाती है। अतः खुशी लाने के लिए लोगों से मिलें-जुलें, एक-दूसरे को सहयोग दें, विचारों को बांटें।