विश्वभर में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना को लेकर लोगों में एक डर का माहौल भी देखा जा रहा है और कई लोग सामान्य सर्दी-खांसी को भी कोरोना से जोड़ रहे हैं। वहीं कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बहुत से लोगों के मन में यह सवाल जरूर आ रहा है कि अपने परिवार के लोगों में कोरोना संक्रमण की पहचान किस तरह हो सकती है और जांच के लिए क्या बेहतर है? इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमने बात की रामसनेही विश्वकर्मा से, जो कि एक सीनियर पैथॉलॉजिस्ट है और उन्हीं से जाना कोरोना जांच में चेस्ट एक्स-रे और स्वाब टेस्ट में क्या है सबसे सही?
रामसनेही विश्वकर्मा, सीनियर पैथॉलॉजिस्ट
वे बताते हैं कि स्वाब टेस्ट में लैब एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट करता है। वे बताते हैं कि कोरोना के लिए टेस्ट 2 तरह से होते है: पहला है नेजल स्वाब और दूसरा है थ्रोट स्वाब।
नेजल स्वाब-
नेजल स्वाब में जिन लोगों को सर्दी होती है, उनका टेस्ट नेजल स्वाब की मदद से किया जाता है। वहीं जिन्हें खांसी की शिकायत होती है, उनके लिए थ्रोट स्वाब के माध्यम से उनका टेस्ट किया जाता है। जब ये टेस्ट हो जाते हैं तो सैंपल को लैबोरेटरी में भेजा जाता है और इसके बाद ही आपको सही रिजल्ट मिलता है।
वे बताते हैं कि कोरोना की जांच के लिए स्वाब टेस्ट सबसे बेहतर माना जाता है, क्योंकि इसमें 100% कंफर्मेशन के साथ रिजल्ट मिलता है इसलिए एक्स-रे से बेहतर स्वाब टेस्ट होता है, क्योंकि छाती का एक्स-रे करवाकर यह देखा जाता है कि कहीं व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत तो नहीं है। लेकिन स्वाब के माध्यम से गले या नाक के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट किया जाता है जिससे कि कोरोना का कंफर्मेशन मिल सके।