एक्स-रे के साइड इफेक्ट व बचाव

- डॉ. प्रमोद साखी

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मरीज के शरीर के आंतरिक हिस्सों में झाँकने के लिए एक्स-रे की जाँच जरूरी होती है लेकिन उसके दुष्प्रभावों से बचना भी असंभव होता है। शरीर से होकर गुजरने वाली एक्स-रे के हमेशा साइड इफेक्ट होते हैं। जब तक बहुत जरूरी न हो एक्स-रे से बचना चाहिए। अपनी ओर सेचिकित्सक से पर्चे पर एक्स-रे की जाँच कराने की जिद न करें।

प्रायः लोग एक्स-रे बिना किसी चिकित्सकीय सलाह के करवा लेते हैं, किन्तु ऐसे लोग एक्स-रे के दुष्परिणामों के बारे में नहीं जानते। एक्स-रे, सीटी स्कैन व मेमोग्राफी आदि परीक्षणों में आयोनाइजिंग विकिरणों का प्रयोग किया जाता है, जो कि घातक है जबकि सोनोग्राफी और एमआरआई में आयोनाइजिंग विकिरणों का प्रयोग नहीं किया जाता है, अतः ये परीक्षण सुरक्षित हैं।

बच्चों और महिलाओं की एक्स-रे जाँच के समय विशेष सावधानियाँ बरतनी चाहिए। बच्चे एक्स-रे के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। बच्चों के छोटे शारीरिक आकार की वजह से जननांगों का एक्स-रे से बचाव कठिन होता है। प्रायः बच्चों की एक्स-रे जाँच के समय उनके माता-पिता को एक्स-रे कक्ष में रहना आवश्यक होता है। ऐसे समय में माता-पिता को एक्स-रे से बचाव वाले कपड़े पहनना चाहिए व गर्भवती माता को एक्स-रे व सीटी स्कैन के रूम से बाहर रहना चाहिए।
  ब्रेन हेमरेज के परीक्षण में सीटी स्कैन की उपयोगिता अनुमानित हानि से कई गुना अधिक है। किन्तु बिना चिकित्सकीय सलाह के एक्स-रे, मेमोग्राफी व सीटी स्कैन परीक्षण न्यायोचित नहीं है। एक्स-रे मानव शरीर पर सदैव हानिकारक प्रभाव डालते हैं।      


गर्भवती महिलाओं की एक्स-रे की जाँच अत्यधिक आवश्यक होने पर ही करना चाहिए। वह भी एक्स-रे से बचाव के समुचित सुरक्षा उपायों के साथ। विशेषतौर पर गर्भावस्था के आठवें से पंद्रहवें सप्ताह के मध्य एक्स-रे जाँच वर्जित है। गर्भधारण योग्य आयु की महिलाओं में एक्स-रे जाँचरजोधर्म के प्रथम दस दिनों में करना चाहिए। सारांशतः परीक्षण से लाभ और अनुमानित हानि की आनुपातिक गणना की जानी चाहिए।

उदाहरणार्थ ब्रेन हेमरेज के परीक्षण में सीटी स्कैन की उपयोगिता अनुमानित हानि से कई गुना अधिक है। किन्तु बिना चिकित्सकीय सलाह के एक्स-रे, मेमोग्राफी व सीटी स्कैन परीक्षण न्यायोचित नहीं है। एक्स-रे मानव शरीर पर सदैव हानिकारक प्रभाव डालते हैं। एटमी बम गिरने के हानिकारक परिणाम के बारे में अधिकतर लोग जानते हैं। हानिकारक प्रभावों को मुख्यतः दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।

प्रथम शारीरिक और द्वितीय आनुवांशिक। अधिक मात्रा में विकिरण शरीर में ल्युकेमिया (रक्त का कैंसर) जैसी घातक बीमारी को जन्म दे सकती है। दूसरी तरफ एक्स-रे के गुण सूत्रीय विकारों के माध्यम से बच्चों में गंभीर प्रकृति की जन्मजात विकृतियाँ जैसे माइक्रोसिफेली, एक्झेन सिफेली या हार्ट डिफेक्ट्स को जन्म दे सकते हैं। अतः एक्स-रे, सीटी स्कैन व मेमोग्राफी की जाँच डॉक्टर की सलाह पर ही की जानी चाहिए।