आजकल कमर दर्द की शिकायत आम हो गई है, इसके कई कारण होते हैं। एक बड़ा कारण आज की आधुनिक जीवनशैली है। पहले कमर दर्द का दर्दनाशक दवाओं व बेडरेस्ट के अलावा कोई कारगर इलाज नहीं था, लेकिन आज पिन होल लेजर सर्जरी जैसी नई चिकित्सा सुविधा देश में उपलब्ध हो गई है।
कमर दर्द का कारण
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दिल्ली के वरिष्ठ स्पाइन सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. रवि गुप्ता बताते हैं कि रीढ़ की हड्डी में प्रत्येक दो वर्टिब्रा के बीच में एक डिस्क होती है जो कि एक शॉक-ऍब्जर्वर का कार्य करती है।
घिस जाने पर यह डिस्क बड़ी होकर बाहर निकल आती है और इस कारण कमर के निचले हिस्से में भयंकर दर्द होता है। यह दर्द दोनों पैरों में भी जा सकता है।
कमर दर्द का मुख्य कारण आजकल की अनियमित दिनचर्या है। कमर दर्द आगे झुकने से, वजन उठाने से, चटका लगने से, गलत तरीके से उठने-बैठने, ज्यादा संभोग करने व सोने से, व्यायाम के अभाव से एवं पेट आगे निकलने के कारण भी हो सकता है।
डॉ. रवि गुप्ता बताते हैं कि मानव की रीढ़ पूरे शरीर में 33 खंडों में बँटी होती है। प्रत्येक खंड को वर्टिब्रा कहते हैं। प्रति दो खंडों के बीच एक डिस्क होती है जो दो वर्टिब्रा को हुक की तरह जोड़कर रखती है। रीढ़ के पीछे स्पाइन-केनाल होता है, जिसके भीतर से नसें मस्तिष्क से पैर की ओर गुजरती हैं।
डिस्क बहुत ही व्यवस्थित ढंग से फिट रहती है और वर्टिब्रा पर अंकुश कायम रखती है। किसी कारण से डिस्क वर्टिब्रा के आगे की दिशा यानी पेट की तरफ या पीछे की दिशा (पीठ की तरफ) खिसक सकती है। जब डिस्क पीठ की तरफ खिसकती है तो वह मरीज के लिए बहुत घातक होता है।
इस कारण स्लिप्ड डिस्क स्पाइन के पीछे केनाल की भीतरी नसों पर दबाव देने लगती है, इससे मरीजों को असहाय पीड़ा महसूस होती है। नसों पर अत्यधिक जोर पड़ने पर कभी-कभी पैर के बेकार हो जाने की संभावना रहती है।
उपचार का तरीका
कमर दर्द का आज की तारीख में सबसे बेहतर इलाज माना जाता है लेजर डिस्केक्टॉमी, जिसे पिन होल सर्जरी भी कहते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा अमेरिका और इंग्लैंड में कमर दर्द का इलाज पिछले 4-5 वर्षों से किया जा रहा है।
* इस तकनीक से उनका इलाज भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है, जिन्हें सामान्य इलाज से कोई राहत नहीं मिलती। इस तकनीक द्वारा रोगी का इलाज अस्पताल में भरती हुए बिना ही ओपीडी में ही किया जा सकता है। लेसर डिस्केक्टॉमी द्वारा 15 मिनट की अवधि में ही कमर दर्द का इलाज केवल एक सुई के द्वारा संभव है। लोकल एनेस्थेसिया में यह प्रक्रिया कराकर रोगी एक घंटे के भीतर ही घर जा सकता है और अपना सामान्य कार्य कर सकता है।
* रोगी को लिटाकर सी आर्म मशीन की सहायता से उसकी डिस्क का पता लगाया जाता है। फिर रोगी के डिस्क के मध्य एक सुई डाली जाती है और इस सुई के बीच से ऑप्टिक फाइबर से बना लेसर प्रोब डाला जाता है।
प्रोब से डिस्क पर पाँच सेकंड के अंतराल पर दो सेकंड के लिए लेजर पल्स देकर करीब 1200 से 1500 जूल्स डिस्क पर डाले जाते हैं और इसे पुनः उसके स्थान पर प्रस्थापित कर दिया जाता है। डिस्क के सिकुड़ने से नसों पर से दबाव हटता है और इस तरह रोगी को कमर और पैरों के दर्द से निजात मिल जाती है।
कमर दर्द के और भी कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर कमर दर्द एल. चार और एल. पाँच डिस्क के अपने स्थान से हट जाने के कारण होता है। पिन होल सर्जरी कारगर हो सकती है अगर समय पर इस सुविधा का लाभ उठा लिया जाए।