इसकी प्रमुख वजह है गर्भाशय का अपनी सही जगह से हिल जाना।जब गर्भाशय अपनी जगह से हटकर आगे,पीछे या नीचे की ओर मुड़कर टेढ़ा हो जाता है तब इस रोग के होनेका खतरा होता है। ऐसा तब होता है जब गर्भाशय को सही जगह रखने वाली मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं। मांसपेशियों के ढी़ले पड़ने और गर्भाशय के प्रोलेप्स के कुछ प्रमुख कारणों में निम्न कारण शामिल हो सकते हैं --- -* भारी चीज़े उठाना * चोट लगना * गिर जाना * अधिक सहवास * बहुत ज़्यादा प्रसव कभी-कभी अत्यधिक शीरीरिक कमज़ोरी भी इसका कारण बन सकती है। गर्भाशय के प्रोलेप्स और गर्भाशय के कैंसर के कुछ प्रमुख कारण हैं- 1) पुरानी सूजन के कारण यूटरस का बाहर निकलने को तत्पर होना। 2) बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना और ऐसा लगना की यूटरस बाहर निकल जाएगा। 3) सिर में रक्त का अधिक दबाव होना और टीस की तरह दर्द होना व ऐसा लगना की पेट की सभी नस-नाड़ियाँ योनिपथ से बाहर निकल जाएगी ।4) रोगिनी का योनिपथ को हाथ में दबाकर रखने की चाह होना,यह डर होना की ऐसा ना करने पर गर्भाशय बाहर निकल जाएगा।
इसके कुछ उपचार : 1)होम्योपैथी में सीपीया की उच्चतम पोटेन्सी,पलसेटिला,अर्निका की उच्चतम पोटेन्सी बेलाडोना की मल्य पोटेन्सी तथा लिलियम टिग व औरमम्यूर नेट्रोनेटम का उपयोग शीघ्र व असरदार निवारक है।
2) अगर गर्भाशय फायब्राईड से भरा है या गर्भाशय की दीवार में फायब्राईड हो तो पल्सेटिला की उच्चशक्ति या काली आयाडाइड की 3x या 30 शक्ति लाभप्रद है।
3) डिम्बकोष व गर्भाशय में ट्यूमर अथवा कैंसर होने पर हाईड्रैस्टिस की 10 से 15 बूंदें आधा कप पानी में मिलाकर 2 से 3 बार लेने पर 10-20 दिनों में लाभ हो सकता है।यूटरस के कैंसर की दूसरी उपयोगी दवा है आर्सेनिक आयोडाईड,कैल्केरिया आयोडाईड,कोनियम है।
4) सप्ताह में एक बार कार्सिनोसिन 1एम ट्यूमर या कैंसर में लाभदायक है।
यह रोग स्त्री में प्रौढ़ावस्था के दौरान होने की संभावना होती है।